मुंबई: राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक साल 2019 में भारत में करीब 32 हजार रेप के मामले दर्ज हुए।
यानी हर घंटे में औसतन चार मामले जबकि भारत में रेप से जुड़े कानून बहुत कड़े हैं, जिनमें मौत की सजा तक का प्रावधान है।
मुंबई में एक दलित महिला की रेप के दौरान आई चोटों के कारण मौत हो गई। सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना की साल 2012 में दिल्ली में हुए बर्बर गैंगरेप से तुलना कर रहे हैं।
इसकी वजह स्थानीय अधिकारी की ओर से दी गई जानकारियां हैं। इस मामले में भी रेप के दौरान महिला की योनि में एक लोहे की छड़ घुसाई गई।
महिला एक मिनी बस में बेहोश पाई गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस की ओर से इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसने अपराध कबूल लिया है।
भारत में पिछले कुछ दिनों में नृशंस रेप का यह अकेला मामला नहीं है।
कुछ ही दिन पहले छत्तीसगढ़ में शराब के नशे में दो युवकों ने एक महिला का अपहरण कर, उसे बांधकर गैंगरेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी।
वहीं उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक राष्ट्रीय स्तर की खो-खो खिलाड़ी से रेप किया गया और हत्या के बाद उसके शव को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया।
देखिए, वर्जिनिटी टेस्ट कराने की वजह इस दलित खिलाड़ी ने रेप के दौरान ही एक दोस्त को कॉल किया था, जिसका कथित ऑडियो क्लिप भी सामने आया है।
यह क्लिप अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और स्थानीय लोगों का दावा है कि इस क्लिप में खिलाड़ी मदद के लिए गुहार लगा रही है।
ऐसी घटनाओं से भारत में एक बार फिर रेप को लेकर गुस्सा भड़क गया है।
कड़े कानून भी बेकार भारत में रेप को लेकर बहुत कड़े कानून हैं और ऐसे अपराध में मौत की सजा तक का प्रावधान है, फिर भी यहां रेप की घटनाएं कम करने में सरकार और एजेंसियां नाकाम रही हैं।
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक साल 2019 में भारत में बलात्कार के करीब 32 हजार मामले दर्ज किए थे। यानी हर घंटे में रेप के औसतन चार मामले सामने आए थे।
जानकार कहते हैं कि निर्भया कांड के बाद से रेप के मामलों में शिकायत दर्ज कराने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है, हालांकि अब भी रेप के मामलों के वास्तविक आंकड़े, शिकायत में दर्ज मामलों से बहुत ज्यादा हैं।
डर और शर्म के चलते अब भी कई महिलाएं इन अपराधों की शिकायत नहीं करतीं और कई मामलों में तो पुलिस की ओर से ही रिपोर्ट नहीं लिखी जाती।
कमजोर समुदायों को खतरा दिसंबर, 2019 तक मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले अपराधों के मामले में हत्या के बाद सबसे बड़ा अपराध रेप ही था।
इस श्रेणी के कुल अपराधियों में से रेप के अपराधी 12.5 फीसदी थे।
महिलाओं के खिलाफ अपराध की श्रेणी में सबसे बड़ा अपराध रेप है। ऐसे कुल अपराधों में 64 फीसदी मामले रेप के हैं।
ऐसे अपराधों के अंडरट्रायल कैदियों में भी सबसे ज्यादा (करीब 60 फीसदी) रेप के आरोप में ही बंद हैं।
साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक रेप के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सामने आए थे।
महिलाओं के अपहरण के मामले में भी ये दोनों राज्य सबसे आगे थे। बिहार की हालत भी इस मामले में काफी खराब थी।