जयपुर: कोरोना संक्रमण काल में बंदिशों की वजह से जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट यात्रियों के आवागमन के लिहाज से भले ही पिछड़ गया हो, लेकिन कार्गो मूवमेंट के लिहाज से जयपुर एयरपोर्ट की रैंक में सुधार हो रहा है।
वित्त वर्ष 2020-21 में जयपुर एयरपोर्ट से 13 हजार 336 मीट्रिक टन कार्गो का परिवहन किया गया है।
कार्गो परिवहन के मामले में जयपुर एयरपोर्ट देश में 12वें स्थान पर रहा है। पहले स्थान पर मुंबई और दूसरे स्थान पर दिल्ली रहा है।
जयपुर एयरपोर्ट से वर्ष 2013 में एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 से कार्गो मूवमेंट शुरू हुआ है। वर्ष 2014-15 में 9,265 मीट्रिक टन कार्गो परिवहन किया गया।
वहीं 2019-20 में कोरोना से पहले 17 हजार 680 मीट्रिक टन कार्गो परिवहन हुआ। जबकि, 2020-21 में कोरोना के चलते 13 हजार 336 मीट्रिक टन कार्गो का परिवहन हो सका।
पहले इंडिगो और गो एयर ही कार्गो का परिवहन करती थीं, लेकिन अब एयर इंडिया, स्पाइसजेट और एयर एशिया भी परिवहन करने लगी हैं।
कार्गो परिवहन के मामले में जयपुर एयरपोर्ट ने वित्त वर्ष 2020-21 में गोवा और लखनऊ जैसे एयरपोर्ट्स को भी पीछे धकेल दिया है।
हालांकि, यात्रीभार और फ्लाइट संचालन के मामले में दोनों एयरपोर्ट जयपुर से अव्वल हैं।
जयपुर एयरपोर्ट से कार्गो परिवहन की संभावनाओं को देखते हुए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 21 करोड़ की लागत से हाल ही नया कार्गो टर्मिनल भी विकसित किया है।
अब यहां से घरेलू कार्गो का मूवमेंट शुरू कर दिया गया है। इससे ना केवल यहां के व्यापारियों और किसानों को अपनी वस्तुएं बाहर भेजने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें अपनी सामग्री का उचित दाम भी मिल सकेगा।
जयपुर एयरपोर्ट के निदेशक जेएस बलहारा ने बताया कि जयपुर एयरपोर्ट पर नवनिर्मित एकीकृत एयर कार्गो टर्मिनल से घरेलू कार्गो का संचालन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की कम्पनी एएआई कार्गो लॉजिस्टिक्स एण्ड एलाईड सर्विसेज कम्पनी लिमिटेड (आईक्लास) करेगी।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने वर्ष 2016 में कार्गो के क्षेत्र में बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए सहायक कम्पनी एएआई कार्गो लॉजिस्टिक्स एण्ड एलायड कम्पनी लिमिटेड का गठन किया था।
इसे आईक्लास के नाम से जाना जाता है। आईक्लास द्वारा लगभग 21 करोड़ रुपये खर्च कर कार्गो टर्मिनल का निर्माण करवाया गया है।
बिल्डिंग के चार सेक्शन में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दी गई है, जिसमें फार्मास्युटिकल और फल-सब्जियां सुरक्षित रखी जा सकें।
इससे राजस्थान की कृषि उपज मंडी समिति अपनी वस्तुएं देश-विदेश में भेज सकती है। अभी जेम एंड ज्वैलरी का कार्गो मूवमेंट ज्यादा होता है, लेकिन अब फल-फूल, सब्जी, दवाइयों का भी हो सकेगा। क्योंकि, जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक सामान और पेरिशेबल कार्गो की डिमांड भी अधिक है।