CM Himanta Biswa Sarma said: अपने तीखे बयानों में माहिर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि किडनी की बीमारियों से बचना है तो मियां मुसलमानों से मछली न खरीदें।
उन्होंने कारण बताते हुए कहा कि ये लोग मछलियों को यूरिया खिला रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में नागांव और मोरीगांव में मछली पालन करने वाले लोगों की वजह से राज्य में किडनी की बीमारियां बढ रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन दो जिलों में उत्पादक मछली पालन में यूरिया का इस्तेमाल हो रहा है। अप्रवासी मुसलमान नागांव और मोरीगांव में मछली उद्योग पर हावी हैं, जिन्हें असमिया मियां मुसलमान कहते हैं। सरमा ने असम के लोगों को सलाह दी कि इन लोगों से मछली न खरीदें।
चार जिलों में कई संगठनों द्वारा अप्रवासी मुसलमानों को इलाका छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। इससे ऊपरी असम में मछली पालन की आपूर्ति बंद हो गई है।
मछली असम में लोगों के आहार और संस्कृति का एक अभिन्न अंग
सरमा ने कहा, मैंने ऊपरी असम के लोगों से कहा है कि अगर वे नागांव और मोरीगांव मछली नहीं भेजते हैं तो यह अच्छा है। इस अवसर का लाभ उठाएं और बाजार पर कब्जा कर लो, लड़ाई करके नहीं, बल्कि लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मछली का उत्पादन करें। उन्होंने कहा कि मछली असम में लोगों के आहार और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
राज्य को हर महीने लगभग 40000 Metric टन मछली की डिमांड है। मोरीगांव, नागांव और कछार राज्य के शीर्ष मछली उत्पादक हैं। असम आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार सहित अन्य राज्यों से मछली खरीदता है।
CM हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मछली उत्पादन बढ़ाने के कई जैविक तरीके हैं। अगर वे मछली उत्पादन के लिए शॉर्टकट अपनाते रहेंगे तो यह काम नहीं करेगा। हालांकि CM सरमा ने सीधे तौर पर किसी धर्म या जाति का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को असम में मिया मुसलमानों के खिलाफ की गई प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
असम में मियां शब्द का इस्तेमाल बांग्लादेशी मूल के अप्रवासी मुसलमानों के लिए किया जाता है। इनकी आबादी नागांव और मोरीगांव में मछली उद्योग पर हावी है। सरमा ने यह टिप्पणी नागांव में अल्पसंख्यक समुदाय के तीन युवकों द्वारा 22 अगस्त को कक्षा 10 की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के कारण फैले तनाव के बाद दी है।