All members of Lok Sabha Took oath: दो दिनों में लोकसभा के लिए चुने गए सभी सदस्यों ने शपथ (Oath) ले ली है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा (Lok Sabha) का जैसे ही गठन होगा।
उसके बाद निर्वाचित सदस्य अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। सदस्यों के शपथ लेने के बाद सदन को सबसे पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करना सदन की संवैधानिक अनिवार्यता है। 2019 से 2024 के कार्यकाल में लोकसभा में उपाध्यक्ष पद पर किसी सदस्य को निर्वाचित नहीं किया गया। यह संवैधानिक त्रुटि थी।
विपक्ष इस बार संविधान के प्रावधान और परंपरा के अनुसार उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की मांग पर अड़ा हुआ है। सरकार ने विपक्ष की मांग नहीं मानी। जिसके कारण विपक्ष ने भी अध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से ओम बिरला को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ाया जा रहा है। वहीं विपक्ष ने कांग्रेस के आठवीं बार के सांसद के सुरेश को अध्यक्ष पद के चुनाव मैदान में उतार दिया है। वह दक्षिण के दलित नेता हैं।
BJP को 2024 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। NDA सरकार के पास 293 सदस्यों का बहुमत है। वहीं विपक्ष के पास लगभग 242 सदस्यों का बहुमत है। बाकी निर्दलीय सदस्य हैं। जिस तरह की स्थिति सदन में बनी है। अध्यक्ष पद के चुनाव में पक्ष और विपक्ष के बीच में तळखी बढ़ गई है। 26 जून को आत्मा की आवाज पर अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान करने का आवहान विपक्ष कर रहा है।
पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में जिस तरह से सदन में लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला द्वारा सरकार के पक्ष में निर्णय लिए हैं। सदन के सदस्यों को आसन्दी से संरक्षण नहीं मिला है। लोकसभा के सदस्यों को सदन से बर्खास्त किया गया है। बिना चर्चा कराए लोकसभा से बिल पास करा दिए गए। इसको लेकर अध्यक्ष पद के चुनाव मे सरगर्मी बढ़ गई है।
संविधान में प्रावधान है, जब भी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होगा। ऐसी स्थिति में सदन किसी अन्य सदस्य को सदन की अध्यक्षता के लिए चुनेगा।
संविधान के अनुच्छेद 95 के अनुसार जब अध्यक्ष का पद रिक्त होगा। उस पद के कर्तव्यों को पालन करने का अधिकार उपसभापति के पास होगा। यदि सदन में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के दोनों पद रिक्त है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति किसी सदस्य को नियुक्त कर सकते हैं। अध्यक्ष के खिलाफ यदि कोई अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाया जाता है।
ऐसी स्थिति में अध्यक्ष आसंदी छोड़कर अध्यक्ष सदस्यों के साथ बैठने का प्रावधान हैं। उपाध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा और मतदान (Vote) इत्यादि का कार्य निष्पादित करने की शक्तियां संविधान प्रदत्त हैं। उपाध्यक्ष का चुनाव संवैधानिक व्यवस्था है।
अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में तथा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की कार्रवाई का संचालन करने का अधिकार उपाध्यक्ष को संविधान ने दिया है। इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती है।