नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिंसा और मॉब लिंचिंग (उन्मादी भीड़ की हिंसा) पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
साथ ही कहा गया है कि एक लोकतांत्रिक देश में कानून हाथ में लेना और सरकारों का इस मामले में मूक दर्शक बने रहना ठीक नहीं है।
अगर देश में यह अराजकता बढ़ती रही तो न केवल अल्पसंख्यक, दलित और देश के कमजोर लोग इसकी आग में जलेंगे, बल्कि पूरा विकास भी जल जाएगा।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मॉब लिंचिंग के हवाले से कहा कि यह सब सुनियोजित तरीके से हो रहा है और इसका उद्देश्य धार्मिक उन्माद को भड़काकर बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक के खिलाफ एकजुट करना है।
उन्होंने कहा कि जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं तो ऐसी घटनाएं अचानक बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि जानबूझकर लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं।
यह बातें मौलाना अरशद मदनी ने आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की दिल्ली में अयोजित कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन मिले? इसलिए उनके हौसले बुलंद हैं।
इसलिए सभी राजनीतिक दल, खासकर जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, खुलकर सामने आएं और इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएं। सिर्फ निंदा या बयान ही काफी नहीं है।
देश में जिस तरह का धार्मिक और वैचारिक टकराव शुरू हो गया है, उसकी बराबरी किसी हथियार या तकनीक से नहीं की जा सकती।
0इससे मुकाबला करने का एक ही तरीका है कि हम अपनी नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा से लैस करें।
उन्हें अपने ज्ञान का उपयोग करने दें। इस वैचारिक युद्ध में अपने विरोधियों को हराने के लिए शिक्षा को अपना हथियार बनाएं।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद यह दुखद स्थिति क्यों पैदा हुई और इसके क्या कारण हो सकते हैं? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, लेकिन यह भी सच है कि मुसलमान जानबूझकर शिक्षा से पीछे नहीं हटे, क्योंकि अगर उन्हें शिक्षा में दिलचस्पी नहीं होती तो वे मदरसे क्यों बनाते? मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांधकर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दें।
उन्होंने कहा कि जिनके माता-पिता शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं, हमें उनके लिए अच्छे मदरसों और उच्च शिक्षण संस्थानों की भी आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। साथ ही अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर चिंता व्यक्त की गई।