नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के महोबा से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए दूसरे चरण की शुरुआत की।
इस योजना में प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखते हुए स्थायी पते का प्रमाण देने से छूट दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाले उज्ज्वला योजना के उत्तराखंड, गोवा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और अन्य राज्यों के लाभार्थियों से संवाद किया।
प्रधानमंत्री ने उनसे एलपीजी कनेक्शन प्राप्त करने के अनुभवों को जाना। प्रधानमंत्री ने जानना चाहा कि एलपीजी कनेक्शन प्राप्त करने में उन्हें दलालों के माध्यम से होकर तो नहीं गुजरना पड़ा।
इसके अलावा क्या उन्हें लॉकडाउन के दौरान मुफ्त एलपीजी मिली है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “अब श्रमिक साथियों को एड्रेस के प्रमाण के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। सरकार को आपकी ईमानदारी पर पूरा भरोसा है।
आपको अपने पते का सिर्फ एक सेल्फ डेक्लेरशन, यानी खुद लिखकर देना है और आपको गैस कनेक्शन मिल जाएगा।
उन्होंने कहा, “बुंदेलखंड सहित पूरे उप्र और दूसरे राज्यों के हमारे अनेक साथी, काम करने के लिए गांव से शहर जाते हैं, दूसरे राज्य जाते हैं। लेकिन वहां उनके सामने एड्रेस के प्रमाण की समस्या आती है। ऐसे ही लाखों परिवारों को उज्ज्वला 2.0 योजना सबसे अधिक राहत देगी।”
पिछली सरकारों पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सड़क, बिजली, अस्पताल और एलपीजी जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए लोगों को दशकों तक इंतजार करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले, लोगों को किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि योजनाओं या संसाधनों का लाभ सभी को मिले।
मोदी ने कहा, “बीते साढ़े सात दशकों की प्रगति को हम देखते हैं तो हमें जरूर लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं, जिनको कई दशक पहले बदला जा सकता था।
घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं हैं, जिनकी पूर्ति के लिए दशकों का इंतजार देशवासियों को करना पड़ा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी संसद में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या को लेकर चर्चा होती थी और अब स्थिति बदल गई है। उज्ज्वला योजना ने देश में महिलाओं का जीवन बदल दिया है।
उन्होंने कहा कि घर और रसोई से जुड़ी समस्याओं के हल होने के कारण आज हमारी बेटियां घर और रसोई से बाहर निकलकर राष्ट्र निर्माण में व्यापक योगदान दे रही हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में करोड़ों शौचालय बनाए गए हैं। बहनों के स्वास्थ्य, सुविधा और सशक्तिकरण के इस संकल्प को उज्ज्वला योजना ने बहुत बड़ा बल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना के पहले चरण में 8 करोड़ गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी परिवारों की बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया।
योजना के प्रथम चरण की भी शुरुआत 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से की गई थी, जोकि आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती है।
आज उज्ज्वला का दूसरा संस्करण भी उप्र के ही महोबा की वीरभूमि से शुरू हो रहा है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड से ताल्लुक रखने वाले हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद को याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा बायोफ्यूल एक स्वच्छ ईंधन मात्र नहीं है बल्कि ये ईंधन में आत्मनिर्भरता के इंजन को, देश के विकास इंजन को, गांव के विकास इंजन को गति देने का भी एक माध्यम है।
बायोफ्यूल एक ऐसी ऊर्जा है, जो हम घर और खेत के कचरे से, पौधों से, खराब अनाज से प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अब देश मूल सुविधाओं की पूर्ति से बेहतर जीवन के सपने को पूरा करने की तरफ बढ़ रहा है। आने वाले 25 साल में इस सामर्थ्य को हमें कई गुना बढ़ाना है।
समर्थ और सक्षम भारत के इस संकल्प को हमें मिलकर सिद्ध करना है। इसमें बहनों की विशेष भूमिका होने वाली है।