मोदी सरकार ने कहा- अपने हिसाब से राज्य खरीद सकते हैं रेमडेसिविर इंजेक्शन

Newswrap

नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हर तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन की मारामारी देखी गई। कोरोना संकट के बीच कई राज्यों में इसकी जमकर कालाबाजारी हुई।

इसके अलावा कई शहरों में पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी जब्त किए। कम प्रोडक्शन होने के चलते ये इंजेक्शन केंद्र सरकार की तरफ से दी जा रही थी। लेकिन अब मोदी सरकार ने घोषणा की हैं कि राज्य सरकार खुद अपनी जरूरत के हिसाब से ये इंजेक्शन खरीद सकते हैं।

रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ऐलान किया कि सरकार ने राज्यों को रेमडेसिविर के केंद्रीय आवंटन को बंद करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग एजेंसी और सीडीएससीओ को देश में रेमडेसिविर की उपलब्धता पर लगातार नजर रखने का निर्देश दिया गया है।

मोदी सरकार के मुताबिक देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के प्लांट 20 से बढ़कर 60 हो चुके हैं। साथ ही सरकार ने कहा है कि अब डिमांड से ज्यादा सप्लाई है।

मंडाविया ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘मुझे आप सभी को ये बताकर खुशी और संतुष्टि हो रही है कि रेमडेसिविर का उत्पादन दस गुना बढ़ गया है।पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में 11 अप्रैल 2021 को हर रोज़ 33,000 इंजेक्शन की वायल बन रही थी।लेकिन अब हर रोज़ ये बढ़कर साढ़े 3 लाख पहुंच गया है।

बता दें कि अमेरिकी कंपनी गिलिएड साइंसेस के पास रेमडेसिविर का पेटेंट है।

अमेरिकी कंपनी ने चार भारतीय कंपनियों से इस बनाने का एग्रीमेंट किया, वहां कंपनियां हैं, सिप्ला, हेटेरो लैब्स, जुबलिएंट लाइफसाइंसेस और मिलान शामिल है।

ये चारों कंपनियां बड़े पैमाने पर इस बनाती हैं और दुनिया के तकरीबन 126 देशों को इसका निर्यात करती हैं। ये मंहगी दवा है, जिसकी कीमत भारतीय बाजार में करीब 4800 रुपये है।