नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मनी लाउंड्रिंग (Money laundering) मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस NV Ramana की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ दो पहलुओं को दोबारा विचार करने लायक मानते हैं। कोर्ट ने कहा कि ECIR (ED की तरफ से दर्ज FIR) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान और खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान पर दोबारा सुनवाई करने की जरूरत है।
पुनर्विचार याचिका कांग्रेस सांसद Karti Chidambaram ने दायर की है। मनी लाउंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दो सौ के आसपास याचिकाएं दायर की गई थीं जिस पर 27 जुलाई को जस्टिस AM Khanvilkar की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को अपने फैसले में ED की शक्ति और गिरफ्तारी के अधिकार को बहाल रखने का आदेश दिया था। जस्टिस AM Khanvilkar की अध्यक्षता वाली बेंच ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत ED को मिले विशेषाधिकारों को बरकरार रखा था।
Court ने पूछताछ के लिए गवाहों, आरोपियों को समन, संपत्ति जब्त करने, छापा डालने, गिरफ्तार करने और जमानत की सख्त शर्तों को बरकरार रखा था।
कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते की रोक लगाई थी ताकि वे सक्षम कोर्ट (Competent court) में जमानत याचिका दायर कर सकें।
FIR की तरह ECIR आरोपी को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं
कोर्ट ने कहा था कि मनी लाउंड्रिंग एक्ट (Money laundering act) में किए गए संशोधन को वित्त विधेयक की तरह पारित करने के खिलाफ मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी।
कोर्ट ने कहा था कि मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 3 का दायरा बड़ा है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 5 संवैधानिक रुप से वैध है। कोर्ट ने कहा कि धारा 19 और 44 को चुनौती देने की दलीलें दमदार नहीं है।
कोर्ट ने कहा था कि ECIR FIR की तरह नहीं है और यह ED का आंतरिक दस्तावेज है। FIR दर्ज नहीं होने पर भी संपत्ति को जब्त करने से रोका नहीं जा सकता है।
FIR की तरह ECIR आरोपी को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं है। जब आरोपी स्पेशल कोर्ट के समक्ष हो तो वह दस्तावेज की मांग कर सकता है।