नई दिल्ली: संसद और विधानसभा में सांसदों व विधायकों का अनुचित व्यवहार लगातार चर्चा का विषय रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको लेकर चिंता जाहिर की है।
शीर्ष कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे व्यवहार पर एक कड़ा संदेश दिए जाने की सख्त जरूरत है, कि इसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जस्टिस डॉक्टर धनंजय वाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह वाली दो जजों की बेंच ने यह टिप्पणी केरल के एक मामले की सुनवाई करते हुए की।
केरल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। यह अर्जी सीपीआई-एम के प्रमुख नेताओं द्वारा 2015 में केरल विधानसभा में किए गए हंगामे का मामला वापस लेने के लिए दाखिल की गई है। उस वक्त आज की सत्ताधारी पार्टी विपक्ष में हुआ करती थी।
इस पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक वित्त विधेयक पेश होने के दौरान हंगामा करने वाले विधायक को आखिर क्यों बचाया जाना चाहिए? शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि ऐसे मामलों को लेकर सख्त संदेश देने की जरूरत है कि सदन में इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई फिलहाल 15 जुलाई तक के लिए टाल दी है।
सुप्रीम कोर्ट में यह पेटिशन 12 मार्च, 2021 को केरल हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद दायर की गई थी। केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की पेटिशन ठुकरा दी थी।