Supreme Court grants interim bail to CM Kejriwal: शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी के मुद्दे पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कड़ी टिप्पणी की है।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री को अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिपांकर दत्ता की बेंच ने अपने फैसले में ED (प्रत्यर्पण निदेशालय) की कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणियां की हैं।
बेंच ने कहा, ED को सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी करनी चाहिए, मनमानी से नहीं। ED उन सबूतों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है जो आरोपी के पक्ष में जाते हैं।
बेंच ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी का आधार केवल जांच नहीं हो सकता है। ED मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गिरफ्तारियों के लिए एक समान नीति बनाए।
PMLA एक्ट में गिरफ्तारी की अनिवार्यता अथवा इसकी जरूरत की व्याख्या के लिए इस मामले को तीन जजों की बेंच को रैफर किया जा रहा है। बता दें कि केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें शराब नीति घोटाले में भ्रष्टाचार के CBI केस में अभी बेल नहीं मिली है।
इस बीच, शुक्रवार को ही दिल्ली की एक कोर्ट ने भ्रष्टाचार के केस में केजरीवाल की न्यायिक कस्टडी 25 जुलाई तक बढ़ा दी। केजरीवाल की ओर से अरेस्ट के खिलाफ चुनौती पर Delhi High Court में 17 जुलाई को सुनवाई होगी।
जमानत की ये है शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अतंरिम जमानत मंजूर करते हुए कुछ शर्ते भी लगाई हैं। इनमें केजरीवाल CM के दफ्तर और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे। केस के बारे अपनी भूमिका पर बयान नहीं देंगे।
जरूरी और आवश्यक होने पर ही किसी सरकारी फाइल हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन इसके लिए ले. गवर्नर की मंजूरी जरूरी होगी। किसी भी गवाह से बात नहीं करेंगे और न ही केस से जुड़ी कोई भी फाइल देखेंगे।