नई दिल्ली: वाहन चालकों को अब यातायात नियमों के उल्लंघन से संबंधित चालान 15 दिनों के भीतर मिल जाएगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय ने सड़क सुरक्षा अनुपालन की इलेक्ट्रानिक निगरानी के लिए संशोधित मोटर वाहन कानून, 1989 के तहत अधिसूचना जारी कर दी है।
इसमें कहा गया है कि जिस दिन यातायात नियमों का उल्लंघन किया गया है, उसके 15 दिनों के भीतर संबंधित वाहन चालक को चालान भेज दिया जाएगा।
इसमें यह भी कहा गया है कि जिस इलेक्ट्रानिक निगरानी व्यवस्था के माध्यम से नियम उल्लंघन का पता चला है, उसके सभी सुबूत तब तक संभालकर रखे जाएंगे जब तक चालान का निपटारा नहीं हो जाता है।
नए कानूनों के तहत यातायात नियमों का अनुपालन कराने के लिए कई इलेक्ट्रानिक उपकरणों को शामिल किया गया है।
इनमें स्पीड कैमरा, क्लोज्ड-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरा, स्पीड गन, शरीर पर पहना जाने लायक कैमरा, डैशबोर्ड कैमरा, आटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) या राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत इस तरह के कोई भी अन्य उपकरण प्रमुख हैं।
मंत्रलय ने कहा कि अधिसूचना में जिन 132 शहरों के नाम हैं, उन समेत 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में राज्य सरकारें ये इलेक्ट्रानिक उपकरण लगाना सुनिश्चित करेंगी।
सरकारों को ये उपकरण राष्ट्रीय राजमार्गो पर उच्च जोखिम वाले स्थानों अथवा भीड़भाड़ वाले कारिडोर और संवेदनशील स्थानों पर लगाने होंगे।
इसके साथ ही इन्हें लगाने में इसका विशेष ध्यान रखना होगा कि ये पूरी क्षमता के साथ काम करें और यात्रियों अथवा यातायात के लिए बाधा नहीं बनें।
अधिसूचना के अनुसार इलेक्ट्रानिक निगरानी व अनुपालन उपकरण से हासिल फुटेज (जिसमें नियम उल्लंघन की लोकेशन, तिथि व समय का इलेक्ट्रानिक स्टांप हो) का उपयोग चालान के रूप में किया जा सकता है।
यातायात नियम उल्लंघनों में मुख्य रूप से गति सीमा का पालन नहीं करने, पार्किंग के लिए निर्धारित जगहों से इधर-उधर वाहन खड़ा करने तथा दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट नहीं पहनने जैसी गलतियां शामिल की गई हैं।
इनके अलावा लालबत्ती पार करने, रुकने के निशान का अनुपालन नहीं करने, वाहन चलाते वक्त हाथ में पकड़कर मोबाइल का उपयोग करने, गलत तरीके से ओवरटेक करने ऐसी अन्य गलतियों के लिए भी इलेक्ट्रानिक चालान भेजे जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में ई-चालान की शुरुआत वर्ष 2019 में ही हो गई थी। वर्तमान में यह कई अन्य शहरों में भी लागू है।
मंत्रलय चाहता है कि इस व्यवस्था को देशभर के सभी शहरों में लागू किया जाए।
अधिसूचना में शामिल शहरों में सबसे अधिक 19 महाराष्ट्र के, 17 उत्तर प्रदेश के, 13 आंध्र प्रदेश के और नौ पंजाब के हैं।