नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता के वैक्सीन फर्जीवाड़ा मामले पर केंद्र को चिट्ठी लिखकर इसकी जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की मांग की है।
अधिकारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा है कि टीएमसी सरकार के कार्यक्रमों की विशेषता वाले ट्रेडमार्क नीले और सफेद गुब्बारों से सजाए गए ये शिविर पहले ही एमहस्र्ट स्ट्रीट, सोनारपुर में आयोजित किए जा चुके हैं और इन शिविरों में सैकड़ों लोगों को पहले ही टीका लग चुका है।
इसमें उन्होंने आगे लिखा, जबकि कस्बा में वैक्सीन लेने वालों से आधार कार्ड की प्रतियां प्राप्त की गई थी, लेकिन इनमें से किसी को भी टीकाकरण का कोई प्रमाण पत्र नहीं मिला है।
ये सब पुलिस और नागरिक अधिकारियों सहित स्थानीय प्रशासन की निगरानी में हुआ है।
उन्होंने आगे लिखा, कोलकाता नगर निगम के संयुक्त आयुक्त के रूप में कार्यरत देबांजन देब नामक एक व्यक्ति अपना परिचय एक आईएएस अधिकारी के रूप में देते हुए केएमसी के बैनर तले कोलकाता के केंद्र में स्थित कस्बा के वार्ड नंबर 107 में अवैध टीकाकरण शिविर को आयोजित कराया है।
अधिकारी ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि कई आपत्तिजनक तस्वीरें पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी में आरोपी के प्रभाव का वर्णन करती है, जो पुलिस की जांच के दौरान सामने आई हैं।
अधिकारी ने कहा, कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम, पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी सांसद शांतनु सेन, टीएमसी विधायक देबाशीष कुमार और लवली मैत्रा, केएमसी पार्षद बैस्वानोर चटर्जी और अन्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देबंजन देब की गतिविधियों का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
अधिकारी ने आरोप लगाया है कि आरोपी को पहले पश्चिम बंगाल सरकार की फाइलों के साथ पोज देते या केएमसी के वार्ड 66 में पश्चिम बंगाल सरकार के दुआरे सरकार शिविरों की मेजबानी करते देखा गया है।
कोलकाता पुलिस की जांच पर संदेह जताते हुए अधिकारी ने कहा, ऐसी स्थिति में जब सत्तारूढ़ दल के कई प्रभावशाली नेताओं और सरकारी प्रतिनिधियों को आरोपी के करीब देखा जा रहा है, हमें कोलकाता पुलिस की निष्पक्ष जांच के बारे में गंभीर संदेह है, जो उस एक ही सरकार के निदेशरें का पालन करती है।
उन्होंने अंत में यह लिखा, मैं ईमानदारी से आपसे इस टीकाकरण धोखाधड़ी पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गहन जांच का आदेश देने और दोषियों को दंडित करने का अनुरोध करता हूं।
राज्य की सत्ताधारी पार्टी या सरकार के किसी भी दबाव के बिना केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष जांच पश्चिम बंगाल में संपूर्ण कोविड टीकाकरण प्रक्रिया की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए समय की आवश्यकता है।