Lok Sabha Speaker : बुधवार को भाजपा सांसद ओम बिरला (Om Birla) 18वीं लोकसभा के स्पीकर (Lok Sabha Speaker) चुन लिए गए हैं।
ध्वनिमत (Voice Vote) से NDA उम्मीदवार ने शक्ति परीक्षण पास कर लिया है। उन्होंने विपक्षी कैंडिडेट के. सुरेश (K. Suresh) को हरा दिया है।
इससे पहले PM नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा। राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने समर्थन किया।
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए NDA के ओम बिरला और इंडिया गठबंधन की तरफ से के. सुरेश आमने-सामने थे।
दोनों उम्मीदवारों ने मंगलवार को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था। रिपोर्टों के अनुसार, ओम बिरला की उम्मीदवारी के समर्थन में 10 से अधिक नामांकन दाखिल किए गए थे।
इनमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा और टीडीपी, जेडी (यू), जेडी (एस) जैसे भाजपा सहयोगी शामिल हैं।
कांग्रेस नेता के. सुरेश के समर्थन में तीन नामांकन दाखिल किए गए थे।
1956 और 76 में भी हुआ था चुनाव
लोकसभा के इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद यह तीसरा मौका होगा, जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ।
इससे पहले 1956 और 1976 में भी लोकसभा स्पीकर पद के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चुनाव हुआ था। इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष में डिप्टी स्पीकर पद को लेकर न बनी सहमति चुनाव की असली वजह मानी जा रही है।
कांग्रेस (Congress) का आरोप है कि भाजपा ने डिप्टी स्पीकर पद पर पहले हां और फिर टालमटोल किया, जिसके बाद उन्हें अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर अपना उम्मीदवार उठाना पड़ा।
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस इस शर्त पर लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए समर्थन देने को तैयार थी अगर उन्हें डिप्टी स्पीकर पद किसी भी हाल में मिले।
भाजपा नेताओं का आरोप है कि लोकतंत्र में शर्त किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। इसलिए हमने विपक्ष के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
बता दें कि लोकसभा के इतिहास में स्पीकर पद को लेकर आम तौर पर सहमति रहती ही है। सत्ता पक्ष की ओर से स्पीकर और विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद मिलता है।
इस बार परंपरा से विपरीत इंडिया ब्लॉक ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बदले में डिप्टी स्पीकर पद हासिल करने पर पूरा जोर दिया है।