Supreme Court Demanding Euthanasia: क्या कोई माता-पिता अपने बेटे के लिए इच्छामृत्यु की Demand कर सकता है? सुनने में थोड़ा अजीब जरुर लेकिन दिल्ली के एक दंपत्ती ने ऐसी ही गुहार लगाई है। उन्होंने अपने 30 साल के बेटे के लिए इच्छामृत्यु की गुहार लगाई।
उन्होंने बताया कि करीब 11 साल से ज्यादा हो गया, उनका बेटा Vegetative State पर है। वहां मेडिकल सपोर्ट सिस्टम के द्वारा किसी तरह जिंदा है। हालांकि, बेटे का इलाज महंगा है, इसमें उनकी पूरी जमापूंजी खत्म हो गई। डॉक्टरों ने भी उसके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं जाहिर की है।
इसके बाद थककर मां-बाप ने बेटे के लिए इच्छामृत्यु की अपील लेकर Supreme Court पहुंचे। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने उनकी मांग को अस्वीकार कर याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता के दर्द को समझकर सरकार से कहा कि क्या वे इस मरीज की देखभाल के लिए कोई व्यवस्था कर सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हम पैसिव यूथनेसिया की अनुमति नहीं दे सकते क्योंकि वहां जीवन रक्षक प्रणाली पर नहीं है, भले ही मरीज को राइल्स ट्यूब के जरिए खाना दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह मामला तब उठाया जब पीड़ित के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ Supreme Court का दरवाजा खटखटाया।
पूरा मामला दिल्ली के रहने वाले अशोक राणा (62) और निर्मला देवी (55) के इकलौता बेटे से जुड़ा है। वे पिछले 11 साल से गंभीर हालात में है। हुआ यूं कि साल 2011 में 30 वर्षीय युवक मोहाली में Civil Engineering की पढ़ाई कर रहा था। तभी एक हादसे में युवक को गंभीर चोटें आईं।
वहां Vegetative State में चला गया। तब से लेकर आज तक युवक उसी कंडीशन में है। डॉक्टरों के मुताबिक उसके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है। बेटे का इलाज कराते-कराते इस बुजुर्ग दंपत्ति की सारी जमा पूंजी खत्म हो चुकी है। अब डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया है।