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हाई कोर्ट से भी मिल गई इजाजत, पिता को लीवर दान कर सकेगी नाबालिग बेटी

नाबालिग बेटी अपने पिता को लीवर (Liver) दान कर सकेगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ ने गुरुवार को नाबालिग बेटी की गुहार को स्वीकार करते हुए इसकी अनुमति दे दी है।

Minor daughter will be Able to Donate Liver to Her Father: नाबालिग बेटी अपने पिता को लीवर (Liver) दान कर सकेगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ ने गुरुवार को नाबालिग बेटी की गुहार को स्वीकार करते हुए इसकी अनुमति दे दी है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पूरी सावधानी बरतते हुए जल्द से जल्द ऑपरेशन किया जाना चाहिए। कोर्ट से अनुमति मिलने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती पिता और बेटी को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए निगरानी में ले लिया गया है।

नाबालिग बेटी द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार सुबह 10.30 बजे न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ में सुनवाई हुई। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि Medical college की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य आयुक्त ने भी अपनी रिपोर्ट में नाबालिग को लिवर देने के लिए पूरी तरह से फिट बताया है। ये दोनों रिपोर्ट कोर्ट रिकार्ड में उपलब्ध हैं।

इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कुछ तकनीकी समस्या के चलते उनके सिस्टम में ऑनलाइन दस्तावेज नहीं खुल रहे हैं, लेकिन वे इस याचिका को स्वीकारते हुए नाबालिग को Liver Transplant की अनुमति दे रहे हैं। ट्रांसप्लांट में पूरी सावधानी बरती जाए और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि नाबालिग के जीवन को कोई संकट न हो। अस्पताल जल्द से जल्द सर्जरी करे।

गौरतलब है कि इंदौर के नजदीकी गांव बेटमा निवासी 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम पेशे से कृषक हैं। वे पहलवान भी रहे हैं और विश्वविद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता भी जीत चुके हैं। वह करीब छह वर्ष से लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने करीब दो माह पहले उनसे कह दिया था कि उन्हें Liver Transplant कराना पड़ेगा।

इसके अलावा कोई अन्य उपचार नहीं है। शिवनारायण की बड़ी बेटी प्रीति अपने पिता को अपना लीवर देने को तैयार भी हो गई, लेकिन समस्या यह थी कि उसकी आयु 17 वर्ष 10 माह है और कानूनन एक नाबालिग अपना लीवर दान नहीं कर सकती थी।

कोर्ट की अनुमति के बगैर डाक्टरों ने भी लीवर ट्रांसप्लांट से इनकार कर दिया था। इस पर परिजनों ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट ने MGM मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वे नाबालिग की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या वह लीवर का कुछ हिस्सा देने के लिए पूरी तरह से फिट है।

मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त दोनों की रिपोर्ट में नाबालिग बेटी को लीवर देने के लिए पूरी तरह से समक्ष और योग्य बताया गया। इसके बाद गुरुवार सुबह 10.30 बजे हुई सुनवाई में Court ने याचिका स्वीकारते हुए नाबालिग को अपने लीवर का कुछ हिस्सा पिता को देने की अनुमति दे दी।

पिता शिवनारायण के लिए अपना लीवर देने वाली नाबालिग बेटी प्रीति ने कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद कहा कि उनकी लड़ाई अभी बाकी है। कोर्ट ने Liver Transplant की अनुमति तो दे दी, लेकिन हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि ट्रांसप्लांट पूरी तरह से सफल रहे और मेरे पिता पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटे।

उसने कहा कि हम पांच बहनें हैं। मैं सबसे बड़ी हूं, इसलिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी भी मेरी ही है। हम सभी चाहते हैं कि पापा पहले की तरह ठहाके लगाते हुए हम सबके बीच बात करें।

याचिकाकर्ता प्रीति के वकील एडवोकेट नीलेश मनोरे ने बताया कि उन्होंने अनुमति के लिए शिवनारायण बाथम की ओर से 13 जून को हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस अस्पताल में शिवनारायण भर्ती हैं, वहां के डाक्टरों ने प्रीति की मेडिकल जांच में उसे लिवर देने के लिए पूरी तरह से फिट बताया था, लेकिन कानूनन अड़चनों के चलते उन्हें याचिका दायर करना पड़ी।

याचिका पर 14 जून को हुई पहली सुनवाई में कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा। कोर्ट ने 18 जून निजी अस्पताल को पक्षकार बनाते हुए हमदस्त नोटिस जारी कर उसका पक्ष पूछा और 20 जून को Medical College और स्वास्थ्य आयुक्त से नाबालिग की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

24 जून को हाईकोर्ट में Medical College की रिपोर्ट प्रस्तुत हुई। इसमें नाबालिग को लीवर देने के लिए पूरी तरह से फिट बताया, स्वास्थ्य आयुक्त की रिपोर्ट नहीं आने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि वे दो दिन में रिपोर्ट दें, अन्यथा उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ेगा।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य आयुक्त की रिपोर्ट प्रस्तुत हुई। नाबालिग को Lever देने के लिए फिट बताया। कोर्ट उसे पिता को लीवर देने की अनुमति दे दी।

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