नई दिल्ली: कोविड-19 टीका आयात में देरी को लेकर हो रही आलोचना के बीच सरकार ने गुरुवार को अपनी टीका खरीद नीति का बचाव करते हुए कहा कि वह 2020 के मध्य से ही फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना से टीका आयात पर बातचीत कर रही है।
सरकार ने इसके साथ ही बड़ी विदेशी टीका निर्माता कंपनियों को स्थानीय स्तर पर परीक्षण की जरूरत से छूट भी दी है।
भारत की टीकाकरण प्रक्रिया पर मिथक और तथ्य शीर्षक से जारी एक बयान में सरकार ने कहा, हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीका खरीदना किसी शेल्फ में रखे सामान को खरीदने जैसा नहीं है।
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकर ने अमरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान के दवा नियंत्रक प्राधिकरणों से मंजूरी प्राप्त टीकों को भारत में लाने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल टीके भी इनमें शामिल हैं। इन टीकों को अब पूर्व परीक्षण की जरूरत नहीं होगी।
प्रावधान को और संशोधित कर दूसरे देशों में बड़ी स्थापित वैक्सीन विनिर्माताओं के लिए परीक्षण की जरूरत को पूरी तरह समाप्त किया गया है।
नरेंद्र मोदी सरकार पर विपक्ष विशेषरूप से कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि उसने टीके का ऑर्डर काफी देरी से इस साल जनवरी में दिया है।
हालांकि, बयान में यह नहीं बताया गया है कि टीके का ऑर्डर कब दिया गया। सरकारी बयान में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर टीके की आपूर्ति सीमित है।
कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और बाध्यताएं हैं। उसी के हिसाब से वे टीके का आवंटन करती हैं।
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के प्रयासों की वजह से स्पुतनिक के टीके के परीक्षण में तेजी आई और समय पर मंजूरी से रूस टीके की दो खेप और उसके साथ भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कर चुका है। भारतीय कंपनियां जल्द टीके का उत्पादन शुरू करेंगी।
सरकार ने कहा कि वह 2020 के मध्य से लगातार दुनिया की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों मसलन फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन तथा मॉडर्ना से बातचीत कर रही है।
टीके की आपूर्ति और भारत में उनके विनिर्माण को सरकार ने इन कंपनियों को पूरी सहायता की पेशकश की है।
हालांकि, इसके साथ ही सरकार ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनका टीका आसानी से आपूर्ति के लिए उपलब्ध है।