मुंबई: कोरोना की दूसरी लहर के बीच सरकार के लिए बड़ी राहत मिली है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 99,122 करोड़ रुपए का सरप्लस फंड देने का ऐलान किया। यह फंड मार्च 2021 तक खत्म 9 महीनों में आरबीआई की जरूरतों से अलग है।
फंड ट्रांसफर का यह फैसला आरबीआई की सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने वर्चुअल मीटिंग के जरिए लिया।
गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली बोर्ड ने देश में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए यह फैसला लिया।
जिसमें देश की आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू मुश्किलों को भी शामिल किया गया।
जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक का सरप्लस अमाउंट सरकार को मिलेगा। इससे पहले आरबीआई ने साल 2019 में केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का फंड ट्रांसफर किया था। तब विपक्ष ने आरबीआई की जमकर आलोचना की थी।
बोर्ड ने यह भी तय किया है कि रिजर्व बैंक में आपातकालीन जोखिम बफर 5.50 प्रतिशत तक बनाए रखा जाएगा।
जालान समिति की सिफारिश के मुताबिक रिजर्व बैंक के बैलेंस शीट का 5.5 से 6.5 प्रतिशत हिस्सा आपातकालीन फंड के रूप में रखा जाना चाहिए।
आरबीआई को अपनी इनकम में किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता, इसलिए अपनी जरूरतों को पूरी करने और जरूरी निवेश के बाद जो फंड बचता है उसे सरप्लस फंड कहते हैं।
इसी फंड को वह सरकार को देता है। रिजर्व बैंक को आमदनी प्रमुख रूप से बॉन्ड में पैसा लगाने पर मिलने वाली ब्याज से होता है।