नई दिल्ली: तमिलनाडु विधानसभा ने आज केंद्र के संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) 2019 को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया कि 2019 में संसद में पारित सीएए कानून हमारे संविधान में निर्धारित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और भारत में मौजूद सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी अनुकूल नहीं है।
यह शरणार्थियों को उनकी दुर्दशा को देखते हुए उनका समर्थन नहीं करता है, बल्कि उनके धर्म एवं उनके मूल देश के अनुसार उनके साथ भेदभाव करता है।
इसलिए देश में एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा सुनिश्चित करने और भारत के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए, यह सदन केंद्र सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को निरस्त करने का आग्रह करने का संकल्प लेता है। सदन में इस प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
सदन में इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।
प्रस्ताव के पारित होने के दौरान मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक के सदस्य सदन में नहीं थे।
अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने शून्य काल के दौरान कई मुद्दे उठाने की कोशिश की लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। इस पर उन्होंने सदन से वॉकआउट किया।