नई दिल्ली: जुलाई में ही कोविड-19 की तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी करने वाले विशेषज्ञ का नया दावा चिंता पैदा कर रहा है।
एक मशहूर वैज्ञानिक के मुताबिक, देशभर में कोविड के पैटर्न में चिंताजनक ट्रेंड देखने को मिल रहा है।
रोजाना होने वाली मौतों के आधार पर जो कोविड-19 कर्व बनाया है, वह ना सिर्फ 4 जुलाई के बाद जारी रहा, बल्कि पिछले दो हफ्तों में उसकी स्थिति भी बिगड़ी है। ऐसा नहीं होना चाहिए था।
वैज्ञानिक के मुताबिक कर्व दिखाता है कि 24 जुलाई से 7 अगस्त के बीच, 15 दिनों से 10 दिन पॉजिटिव रहा।
इसका मतलब यह है कि तीसरी लहर एक खतरनाक मोड़ ले रही है। उन्होंने कहा, “4 जुलाई के बाद डीडीएल में दिख रहे ‘जंगली’ उतार-चढ़ाव चिंताजनक हैं।
उन्होंने कहा कि डीडीएल में अभी हो रहे उतार-चढ़ाव इसकारण दिलचस्प हैं, क्योंकि वे पहले वालों के मुकाबले काफी बड़े हैं, और महीने भर से ज्यादा वक्त गुजर जाने पर भी थम नहीं रहे।
आधिकारिक आंकड़ों की अनिश्चितता इसकी एक वजह हो सकती है। जब पहली लहर चल रही थी, तब मौतों के आंकड़ों में कई बार सुधार किया गया।
दूसरी लहर में मौतों के आंकड़ों से जुड़ी अनिश्चितताएं बढ़ गईं। दूसरी लहर के दौरान डेली कोविड मौतों के ग्राफ में बड़े-बड़े उतार-चढ़ाव साफ देखे जा सकते हैं।
वैज्ञानिक ने कहा कि जब 24 घंटों में नए मामलों की संख्या लाखों में थी, तब रिकवर होने वाले भी लाखों में हुआ करते थे। जब नए मामले हजारों में आने लगे तो रिकवरी भी सिमट गई।
इस अनुपात को पेशंट लोड (हर रिकवर मरीज पर नए मरीज की संख्या) कहते हैं।
यह सामान्य तौर पर 1 के आसपास रहा। दूसरी लहर के बीच जब मौतों की संख्या बढ़ी तब पेशंट लोड 2.2 तक पहुंच गया था।
हमारे नतीजे यह इशारा करते हैं कि कोविड-19 की गंभीरता इतनी ज्यादा हो चुकी है कि राष्ट्रीय स्तर पर डेटा से निकला डीडीएल रोज पॉजिटिव रह रहा है।
इसका मतलब यह कि रोज नए पॉजिटिव मामलों की संख्या उसी दौरान रिकवर हुए मरीजों की संख्या से ज्यादा है। हालांकि मौतों का आंकड़ा रोज करीब 500 के आसपास रह रहा है।”