नई दिल्ली: भारत में डॉक्टरों को जल्द ही कैंसर के मरीज के पेट के ऊपरी हिस्से या वक्ष क्षेत्र में रेडिएशन में मदद करने के लिए फेफड़ों की गति की नकल की सुविधा मिल जाएगी।
पेट के ऊपरी हिस्से या वक्ष क्षेत्रों से जुड़े कैंसर ट्यूमर पर केंद्रित रेडिएशन की डोज देने में श्वास की गति एक बाधा है।
इस गति से कैंसर के उपचार के दौरान रेडिएशन में ट्यूमर से ज्यादा बड़े क्षेत्र पर असर पड़ता है, जिससे ट्यूमर के आसपास के ऊतक प्रभावित होते हैं।
किसी भीमरीज के फेफड़ों की गति पर नजर रखकर मरीज के लिये केंद्रित रेडिएशन को उसके मुताबिक किया जा सकता है जिसके बाद रेडियेशन देने से वहन्यूनतम खुराक के साथ प्रभावी हो सकता है। एक मानव पर ऐसा करने से पहले, एक रोबोट फैंटम पर इसकी जांच किए जाने की जरूरत है।
हाल में तकनीक विकास के चलते गेटिंग और ट्रैकिंग जैसी अत्याधुनिक गति प्रबंधन तकनीक सामने आई हैं।
भले ही श्वसन संबंधी गतिशील लक्ष्यों के रेडिएशन उपचार में निरंतर विकास हुआ है, लेकिन इसके समानांतर गुणवत्ता आश्वासन (क्यूए) टूल विकसित नहीं हुए हैं।
श्वसन संबंधी गति प्रबंधन तकनीकों की उपचार प्रक्रिया में एक विशेष प्रकार की सटीकता के उद्देश्य से मरीज के एक अंग में अवशोषित खुराक की मात्रा के निर्धारण के लिए अतिरिक्त श्वसन संबंधी गतिशील फैंटम की जरूरत होती है।
भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक नवीन और सस्ती 3डी रोबोटिक मोशन फैंटम का विकास किया है, जो श्वास लेने के दौरान एक मानव के फेफड़ेजैसी गति पैदा कर सकते हैं।
फैंटम एक ऐसे प्लेटफॉर्म का हिस्सा है, जो न सिर्फ एक मरीज के श्वास लेने के दौरान मानव फेफड़े जैसी गति पैदा करता है, बल्कि यह जांच करने के लिए भी उसका इस्तेमाल किया जा सकता है कि क्या रेडिएशन का एक गतिशील लक्ष्य पर सही प्रकार से केंद्रित उपयोग हो रहा है।
फैंटम को इंसान की जगह सीटी स्कैनर के अंदर बेड पर रखा जाता है और यह उपचार के दौरान रेडिएशन के समय मानव फेफड़े की तरह गति करता है।
इर्रेडिएशन के दौरान, मरीज और कर्मचारियों पर न्यूनतम असर के साथ निरंतर उन्नत 4डी रेडिएशन थेरेपी उपचारों की उच्च गुणवत्ता वाली छवियां प्राप्त होती हैं।
एक मानव पर लक्षित रेडिएशन से पहले, फैंटम के साथ सिर्फ ट्यूमर पर केंद्रित इसके प्रभाव की जांच की जाती है।