नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार कोरोना के टीके से खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) के कारणों का पता जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लगा लिया है।
वैज्ञानिकों की इस नई थ्योरी पर ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजनेका के वैक्सीन वैज्ञानिकों ने जांच भी शुरू कर दी है।
टीके में मौजूद एडिनोवायरस कोशिका द्रव की जगह न्यूक्लियस में पहुंचकर बना रहा प्रोटीन, जिससे जम रहा थक्का फ्रैंकफर्ट के गोएथ यूनिवर्सिटी लैबोरेटरी के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर रोल्फ मार्सचालेक का कहना है कि एडिनोवायरस तकनीक पर बना एस्ट्राजेनेका का टीका मनुष्य के कोशिका द्रव (सेल फ्लूड) में जाने की बजाय न्यूक्लियस में घुस रहा है।
इस कारण न्यूक्लियस में वायरस अपने लिए प्रोटीन बनाना शुरु कर रहा है। यही टीका लगने के बाद खून की थक्का समस्या का प्रमुख कारण है।
कोशिकाओं के भीतर पाई जाने वाली एक संरचना है जिसमें उस कोशिका से संबंधित जेनेटिक सूचनाएं एकत्रित होती है।
न्यूक्लियस के भीतर पाए जाने वाले डीएनए के अनुसार ही उस कोशिका से संबंधित अलग-अलग तरह के प्रोटीन का निर्माण शरीर के भीतर होता है। हर कोशिका की अपनी न्यूक्लियस होती है।
प्रोफेसर रोल्फ का कहना है कि जिस कारण से खून का थक्का जमने के मामले सामने आ रहे हैं, उसे जरूरी बदलाव के बाद रोका जा सकता है। इसके अलावा टीका लगने के बाद किस उम्र के लोगों में ज्यादा ऐसे मामले रिपोर्ट हुए हैं। उस आधार पर इसके कारणों की विस्तार से जांच पड़ताल की जा सकती है।