नई दिल्ली: पेगासस के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
इस बीच सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के बीच विवाद शुरू हो गया है। आसार हैं कि मुद्दा आने वाले कुछ समय तक ठंडे बस्ते में नहीं जाने वाला है।
दोनों पक्षों ने लोकसभा स्पीकर के समक्ष अपना पक्ष रख दिया है।एक ओर जहां सत्ताधारी दल के सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है।
उधर, थरूर ने हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर पत्र के द्वारा आरोप लगाया कि कैसे स्थायी समिति के अधिकार को दबाने की कोशिश की जा रही है।
बता दें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसदीय समिति के अध्यक्ष थरूर ने बीते दिनों कहा था कि भाजपा के सदस्यों ने 28 जुलाई को समिति की बैठक ‘बाधित’ की, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि पेगासस मामले पर कोई चर्चा हो और जिन अधिकारियों को गवाही देनी थी, लगता है उन्हें ‘पेश नहीं होने का निर्देश दिया गया।
मोदी सरकार ने थरूर के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि संसद में मानसून सत्र चलने के कारण अधिकारियों ने बैठक में शामिल में ना होने को लेकर समिति को पहले ही सूचित कर दिया गया था।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने समिति को इस बाबत चिट्ठी लिखी थी।जानकारी के अनुसार आईटी कमेटी और अध्यक्ष (थरूर) को बताया गया कि पूर्व निर्धारित बैठक के कारण केंद्रीय गृह सचिव इस बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे।
थरूर को लिखा गया पत्र 27 जुलाई का है।गृह मंत्रालय के सूत्रों ने दावा किया कि थरूर और अन्य विपक्षी सांसदों द्वारा यह बताना कि सरकार ने अंतिम समय में रद्द किया है, झूठा और निराधार है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 23 जुलाई को आईटी समिति को पत्र लिखा था।
बैठक से पांच दिन पहले लिखी गई चिट्ठी में कहा गया था कि अधिकारी मानसून सत्र के कारण संसदीय कार्यों में व्यस्तता के चलते बैठक में भाग नहीं ले पाएंगे।
अधिकारी ने इसके लिए संसदीय समिति के अध्यक्ष यानी थरूर को इसकी जानकारी दी। साथ ही यह भी निवेदन किया कि मानसून सत्र के बाद बैठक की अगली तारीख रख लें।
सत्तारूढ़ भाजपा के 10 सदस्यों के लिए इस अभूतपूर्व बताते हुए चर्चा को रोकने के लिए रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।