नई दिल्ली: भारत में कोरोना के 3 लाख के करीब रोज मामले मिलने के बीच वैक्सीनेशन अभियान में सुस्ती आती जा रही है।
टीकाकरण की रफ्तार का इस हफ्ते दो महीने में सबसे कम रही।
करीब सभी राज्य कोरोना वैक्सीन की किल्लत होने का रोना रो रहे हैं, लेकिन फिलहाल स्थिति सामान्य होते नहीं दिख रही।
राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना वैक्सीन का पर्याप्त ऑर्डर नहीं दिया, जिससे संकट आ खड़ा हुआ है।
केंद्र सरकार ने राज्यों से 45 साल से कम उम्र के लोगों के टीकाकरण का खर्च उठाने को कहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 19 अप्रैल बुधवार को महज 11.66 लाख लोगों को ही कोरोना का टीका लगा।
अगर इस हफ्ते के औसत की बात करें तो 13.42 लाख लोगों को औसतन एक दिन में वैक्सीन लग पाई है, जो 14 मार्च के बाद किसी भी हफ्ते में सबसे कम है।
मार्च के मध्य से देश में कोरोना की दूसरी लहर जोर पकड़ने लगी थी और रोजाना के कोविड के मामले 4 लाख के पार पहुंच गए थे।
भारत भले ही दुनिया में कोरोना वैक्सीन उत्पादन का सबसे बड़ा हब हो, लेकिन वह अभी तक महज 3 फीसदी आबादी का ही पूर्ण टीकाकरण कर पाया है।
भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है, जहां कोरोना वैक्सीनेशन सभी के लिए पूरी तरह निशुल्क नहीं है।
केंद्र सरकार ने अचानक ही 45 साल से कम उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण का भार राज्य सरकारों पर डाल दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार टीकाकरण तेज करने की बात कर रहे हैं।
वैक्सीनेशन का बोझ राज्यों पर डाल देने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना हो रही है।
सरकार ने आलोचना के बाद आनन-फानन में दूसरे देशों के लिए वैक्सीन का निर्यात रोक दी है।
इससे ऐसे देश भी अधर में लटक गए हैं, जो भारत से आस लगाए बैठे थे।
विपक्षी दलों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हो रही आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते खाका खींचा था कि कैसे इस साल के अंत तक भारत के पास 200 करोड़ वैक्सीन डोज होंगे।
बहरहाल अभी तो भारत समेत कई देश वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं।
अगर भारत पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा पाता है तो इस साल के अंत तक वयस्क आबादी का टीकाकरण करने के लक्ष्य पर पानी फिर सकता है।