नई दिल्ली: भारत की स्वदेशी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत-बायोटेक ने एक हालिया स्टडी पर सवाल उठाए हैं।
इस स्टडी में कहा गया था कि कोवैक्सीन की तुलना में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड ज्यादा एंटीबॉडी बनाती है।
अब भारत बायोटेक ने कहा है कि इस स्टडी में कई तरह कमियां हैं। कोवैक्सीन को आईसीएमआर और भारत-बायोटेक ने मिलकर बनाया है।
भारत-बायोटेक ने कहा है कि इस स्टडी का पीयर-रिव्यू नहीं हुआ है और न ही सांख्यिकी-वैज्ञानिक पैमाने पर सही बैठती है।
ये स्टडी सीटीआरआई की वेबसाइट पर रजिस्टर नहीं है। और ना ही सीडीएससीओ और एसईसी द्वारा अप्रूव है।
भारत बायोटेक ने कहा, ये समझना बेहद जरूरी है कि फेज 3 का ट्रायल डेटा पहले सीडीएससीओ के पास भेजा जाएगा।
इसके पीयर रिव्यू जर्नल में इस पर स्टडी प्रकाशित होगी। कोवैक्सीन के फेज 3 ट्रायल का पूरा डेटा जुलाई महीने तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
एक बार जब पूरा डेटा सामने आ जाएगा तब भारत बायोटेक फुल लाइसेंस के लिए अप्लाई करेगा।
करीब एक महीने पहले अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर एंथॉनी फॉसी ने भी कोवैक्सीन की तारीफ की थी।
उन्होंने कहा था कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस 617 वैरिएंट्स को बेअसर करने में कारगर है। उन्होंने कहा था, यह कुछ ऐसा है, जहां हम अभी भी रोज डेटा जुटा रहे हैं।
लेकिन हाल ही में एक डेटा कोविड-19 का कॉन्वालैसेंट सेरा और भारत में उन लोगों के बारे में जानकारी जुटा रहा था, जिन्होंने कोवेक्सीन प्राप्त की है।
उन्होंने बताया, ‘पाया गया है कि यह 617 वैरिएंट्स को बेअसर कर रही है।