बलात्कार के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Supreme Court ने केरल में 2016 में 30 वर्षीय एक छात्रा से बलात्कार करने और उसकी हत्या (Murder) के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को दी गयी मौत की सजा की तामील पर रोक लगा दी है।

Central Desk

Supreme Court Bans Death Penalty : Supreme Court ने केरल में 2016 में 30 वर्षीय एक छात्रा से बलात्कार करने और उसकी हत्या (Murder) के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को दी गयी मौत की सजा की तामील पर रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति B R गवई, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अगुवाई वाली पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के 20 मई के फैसले को चुनौती देने वाली दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा याचिकाकर्ता को दोषी ठहराने और मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा था।

Supreme Court ने 16 जुलाई को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा याचिका की सुनवाई और उसके अंतिम निपटारे तक मृत्युदंड के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।’’

उच्च न्यायालय ने प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमीरुल इस्लाम को दी गई मौत की सजा की पुष्टि की थी, जो अप्रैल 2016 में घटना के समय 22 वर्ष का था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस्लाम 28 अप्रैल, 2016 को कानून छात्रा से बलात्कार के इरादे से उसके घर में घुसा था और जब पीड़िता ने इसका विरोध किया तो उसने उस पर चाकू से कई बार वार कर उसे घायल कर दिया।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोषी अगले दिन अपने गृह राज्य असम भाग गया था और जून 2016 में उसे गिरफ्तार किया गया था।

Supreme Court ने अपने आदेश में कहा कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय से मामले संबंधी मूल रिकॉर्ड मंगाया जाए। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार याचिकाकर्ता से संबंधित सभी परिवीक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर उसके समक्ष पेश करे।

न्यायालय ने साथ ही निर्देश दिया कि वियूर स्थित केंद्रीय कारागार एवं सुधार गृह के जेल अधीक्षक आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत कर बताएं कि याचिकाकर्ता ने जेल में क्या कार्य किए तथा उसका आचरण एवं व्यवहार कैसा था।

उसने कहा, ‘‘त्रिशूर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज याचिकाकर्ता का मनोवैज्ञानिक आकलन करने के उद्देश्य से एक उपयुक्त टीम का गठन करे’’ और इसकी रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर उसके समक्ष प्रस्तुत की जाए।

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 सप्ताह बाद की तारीख तय की है।