Supreme Court: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में कोई आरोपी अगर कोर्ट के समन पर हाजिर हुआ है तो उसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA ) की धारा-45 के तहत जमानत की दोहरी शर्त पूरी नहीं करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के सामने दो कानूनी सवाल थे कि क्या Special Court अगर PMLA एक्ट के तहत किसी आरोपी को समन जारी करता है तो क्या वह जमानत के लिए आवेदन देगा? अगर हां तो क्या जमानत के लिए PMLA की धारा-45 के तहत दोहरी शर्त लागू होगी?
PMLA एक्ट की धारा-45 के तहत प्रावधान है कि को पूरा करता हो। यानी यह दिख रहा हो कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और दूसरा यह कि जमानत के दौरान अपराध होने की आशंका न बची हो। यह कंडिशन काफी सख्त है और इसी कारण PMLA केस में गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलना आसान नहीं होता है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी को तभी जमानत, जब वह दोहरी शर्त पूरी कर सके
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.एस. ओका की अगुआई वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि PMLA मामले में अगर कोई आरोपी है और उसे विशेष अदालत ने समन जारी किया है। तो वह विशेष अदालत में पेश होता है तो जब उसकी पेशी होती है तो यह नहीं माना जाएगा कि वह Custody में है।
ऐसे में आरोपी के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह जमानत के लिए दोहरी शर्त को पूरा करे। बल्कि विशेष अदालत उसे यह कह सकती है कि आरोपी जमानत बॉन्ड भरे।
CRPC की धारा-88 के तहत जब अदालत किसी मामले में आरोपी को समन जारी करती है तो आरोपी की पेशी के बाद अदालत इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि आरोपी आगे भी कोर्ट में पेश होता रहेगा उससे जमानत बॉन्ड भरवाता है।
यह उन मामलों में होता है जिनमें आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती है। Supreme Court ने कहा कि ऐसे मामले में जमानत बॉण्ड स्वीकार करते समय PMLA एक्ट की धारा-45 के तहत दोहरी जमानत शर्त का जो कठोर प्रावधान है, वह लागू करना अनिवार्य नहीं है।