नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है।
मामला 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का पालन नहीं करने का है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और राजनीति के अपराधीकरण में शामिल लोगों को सांसद और विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
13 फरवरी, 2020 में दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इन राजनीतिक दलों को एक आदेश दिया था।
इसमें कहा गया था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर या नॉमिनेशन से कम से कम दो सप्ताह पहले उनके अतीत का ब्योरा प्रकाशित करें।
राजनीति में अपराधीकरण पर तल्ख टिप्पणी करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि राजनीतिक दल राजनीति से अपराध खत्म करने की दिशा में सही कदम नहीं उठा रहे हैं।
राजनीतिक दलों पर अलग-अलग जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने राजनीतिक व्यवस्था को अपराध से मुक्त करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार की विधायी शाखा की उदासीनता पर अफसोस जताया।
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि देश लगातार इंतजार कर रहा है और धैर्य खो रहा है।
राजनीति की प्रदूषित धारा को साफ करना सरकार की विधायी शाखा की तात्कालिक चिंताओं में शामिल नहीं है।
बेंच ने दो राजनीतिक दलों-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया है।
जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और उनसे आठ सप्ताह के भीतर निर्वाचन आयोग में रकम जमा करने को कहा। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर जुर्माना नहीं लगाया गया।
फैसले में कहा गया कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में अपराधीकरण का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
बेंच ने कहा कि आपराधिक अतीत वाले व्यक्तियों और राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण में शामिल लोगों को कानून बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि राजनीतिक व्यवस्था की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह कदम बेहद जरूरी हैं।
एकमात्र सवाल यह है कि क्या यह न्यायालय ऐसे निर्देश जारी करके ऐसा कर सकता है जिनका वैधानिक प्रावधानों में आधार नहीं है।
आदेश में कहा गया कि नौ राजनीतिक दलों को 13 फरवरी, 2020 के आदेश की अवमानना करने का दोषी पाया गया है। लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक उदार दृष्टिकोण अपनाया गया है कि ये पहले चुनाव थे, जो निर्देश जारी होने के बाद हुए थे।
जस्टिस नरीमन ने 71 पेज के फैसले में कहा कि हम उन्हें चेतावनी देते हैं कि उन्हें भविष्य में सतर्क रहना चाहिए।
साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों का अक्षरश: पालन हो।
बेंच ने उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में विवरण प्रस्तुत करने के अपने पहले के निर्देशों में से एक को संशोधित किया।
फैसले में कहा गया है कि शीर्ष अदालत बार-बार देश के कानून निर्माताओं से अपील करती रही है कि वे आवश्यक संशोधन लाने के लिए कदम उठाएं।
ताकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की राजनीति में भागीदारी निषिद्ध हो सके।
पीठ ने कहा कि ये सभी अपीलें बहरे कानों के सामने अनसुनी रह गयी हैं। राजनीतिक दल गहरी नींद से नहीं जाग रहे हैं।
शक्तियों के बंटवारे की संवैधानिक व्यवस्था के मद्देनजर, हम चाहते हैं कि इस मामले में तत्काल कुछ करने की जरूरत है, लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं। हम राज्य की विधायी शाखा के लिए आरक्षित क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं कर सकते हैं।