Supreme Court gave its Verdict on the case Registered under SC-ST law: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है जिसमें देश की कोर्ट ने कहा कि SC-ST समुदाय से आने वाले किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति का जिक्र किए बिना अपमानित करने की घटना को SC-STकानूनों के कड़े प्रावधानों के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।
जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की युगलपीठ ने एक ऑनलाइन मलयालम न्यूज चैनल के संपादक शाजन स्कारिया को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) देते हुए अपना यह अहम फैसला सुनाया।
बता दें कि संपादक स्कारिया पर SC-ST कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने SC समुदाय से आने वाले CPM विधायक पीवी श्रीनिजन को माफिया डॉन कह दिया था।
ट्रायल कोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। स्कारिया के वकील सिद्धार्थ लूथरा और गौरव अग्रवाल की दलीलों को कोर्ट ने मान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SC-ST समुदाय के किसी सदस्य का जानबूझकर किया गया अपमान या धमकी जाति-आधारित अपमान की भावना पैदा नहीं करती है।
Supreme Court ने कहा कि हमारी राय में प्रथम दृष्टया ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह संकेत दे कि संपादक स्कारिया ने यूट्यूब पर वीडियो प्रकाशित करके अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं को बढ़ावा दिया हो। Video का SC या ST के सदस्यों से सामान्य रूप से कोई लेना-देना नहीं है।
उनका निशाना सिर्फ श्रीनिजन थे। पीठ ने कहा कि अपमानित करने के इरादे को उस व्यापक संदर्भ में समझा जाना चाहिए, जिसमें हाशिए पर पड़े समूहों के अपमान की अवधारणा को विभिन्न विद्वानों ने समझा है।
माफिया डॉन संदर्भ का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि निंदनीय आचरण और दिए गए अपमानजनक बयानों की प्रकृति को देखते हुए स्कारिया के बारे में यह कहा जा सकता है कि उसने प्रथम दृष्टया में मानहानि का अपराध किया है। यदि ऐसा है तो शिकायतकर्ता के लिए अपीलकर्ता के विरुद्ध तदनुसार मुकदमा चलाया जा सकता है।