नई दिल्ली: तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) की शिकार मुंबई की नाजरीन निशा की ओर से वकील गौरव भाटिया ने चीफ जस्टिस NV Ramana की अध्यक्षता वाली बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की।
चीफ जस्टिस ने अगले हफ्ते सुनवाई की बात कही है। इससे पहले गाजियाबाद की बेनजीर हिना ने भी सुप्रीम कोर्ट (SC) का रुख किया था। कोर्ट दोनों अर्जियों पर एक साथ सुनवाई करेगा।
बेनजीर की याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार (Rights) मिलने चाहिए।
वकील अश्विनी उपाध्याय के जरिये दाखिल याचिका में बेनजीर ने बताया है कि उनकी 2020 में दिल्ली के यूसुफ नकी से शादी हुई थी।
उनका सात महीने का बच्चा भी है। दिसंबर 2021 में पति ने एक घरेलू विवाद (Domestic Dispute) के बाद उन्हें घर से बाहर कर दिया था।
मुस्लिम मैरिज एक्ट को पूरी तरह निरस्त करने की मांग की गई
पिछले पांच महीने से उनसे कोई संपर्क नहीं रखा। अब अचानक अपने वकील के जरिये डाक से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि वह तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) के तहत पहला तलाक दे रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर मुस्लिम महिलाओं को कानून की नजर में समानता और सम्मान से जीवन जीने जैसे मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) से वंचित नहीं रखा जा सकता है।
याचिका में मांग की गई है कि तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) और अदालती तरीके से न होने वाले दूसरे सभी किस्म के तलाक (Talaq) को असंवैधानिक करार दिया जाए।
याचिका में शरीयत कानून की Sec 2 को रद्द करने का आदेश देने की मांग की गई है।
याचिका में रिसॉल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट (Resolution of Muslim Marriage Act) को पूरी तरह निरस्त करने की मांग की गई है।