भोपाल: मध्य प्रदेश सत्ता से लगभग सवा साल बाहर रहने के बाद फिर सत्ता में आई भाजपा की सरकार ने आखिरकार कुर्सी संभालने के सवा साल बाद मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंप दिया है।
सबसे ज्यादा अगर किसी नेता की ताकत इन जिला प्रभारों के बटवारे में नजर आई है, तो वह हैं राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिनके प्रभाव वाले क्षेत्र ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के अधिकांश जिलों का प्रभार उनके समर्थक मंत्रियों को सौंपा गया है।
राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी कराने में सिंधिया की अहम भूमिका रही है, क्योंकि सिंधिया के 22 समर्थक तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ली थी।
इस घटनाक्रम ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। पहले मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों को महत्व दिया गया, उसके बाद से ही जिलों के प्रभार और निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर कशमकश चल रही थी।
राज्य के 52 जिले है और शिवराज के मंत्रिमंडल में 30 मंत्री है। इन मंत्रियों के बीच जिलों का बंटवारा किया गया है, कोई मंत्री एक, तो कोई दो जिलों का प्रभारी है।
मंत्रियों के जिला प्रभार सौंपने में ग्वालियर-चंबल इलाके के अधिकांश जिलों की कमान सिंधिया समर्थक मंत्रियों के हाथ आई है।
ग्वालियर-चंबल इलाका सिंधिया के प्रभाव का क्षेत्र है और यहां के सबसे ज्यादा विधायकों ने ही कांग्रेस छोड़ी थी। जिलों का प्रभार मंत्रियों केा सौंपा गया है,उसमें सिंधिया की पसंद का ख्याल रखा गया है।
ग्वालियर का प्रभार तुलसीराम सिलावट, गोविंद राजपूत को भिंड, महेंद्र सिंह सिसौदिया को शिवपुरी, लोक निर्माण राज्यमंत्री सुरेश धाकड को दतिया,प्रद्युम्न सिंह तोमर को अशोकनगर व गुना का प्रभार दिया गया है।
इस तरह छह जिलों का प्रभार सिंधिया समर्थकों के पास आया है, तो वहीं दो जिले मुरैना व श्योपुर का प्रभार भारत सिंह कुशवाहा को मिला है। कुशवाहा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक माने जाते है।
जिलों में प्रभारी मंत्री की हैसियत सबसे ताकतवर जिले में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर होती है, बड़े फैसलों में प्रभारी मंत्री की बडी भूमिका हेाती है। य
ही कारण है कि हर गुट का नेता अपने से जुड़े मंत्री को जिले का प्रभार दिलाना चाहता है। इस तरह देखें तो अघोषित तौर पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की जिला सरकार सिंधिया के हाथ में आ गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया के अलावा ताकतवर नेता के तौर केंद्रीय मंत्री तोमर को माना जाता है।
यही कारण है कि संतुलन बनाए रखने के लिए मुरैना संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों मुरैना व श्योपुर का प्रभार तोमर समर्थक मंत्री कुशवाहा को दिया गया है। फिर भी संदेश तो यही गया है कि इस क्षेत्र की सत्ता सिंधिया समर्थकों के हाथ में रहेगी।
जिलों का प्रभार दिए जाने में सिंधिया समर्थकों की तैनाती ने सियासी तौर पर यह संदेश भी दे दिया है कि पार्टी के भीतर और सरकार में सिंधिया की हैसियत और प्रभाव बरकरार है।