नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम का संचालन व व्यवस्था निजी हाथों में रहेगी। सुरक्षा के अलावा सभी व्यवस्थाएं निजी कंपनी ही देखेगी।
यह कम्पनी श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के अधीन काम करेगी। इसके लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया इसी माह शुरू कर दी जाएगी।
धाम में बन रहे सभी 24 भवनों की देखभाल के लिए पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर कम्पनी का चयन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार और गुरुवार 2 दिनों तक बैठक में यह फैसला लिया है।
जिस कम्पनी का चयन किया जाएगा, वह सभी भवनों से आय के स्रोत विकसित कर बजट तैयार करेगी और इसी बजट से कॉरिडोर की सुरक्षा, बिजली, व्यवस्था, संचालन व देखभाल पर खर्च किया जाएगा। कम्पनी ही काशी विश्वनाथ धाम के लिए मानव संसाधन का बंदोबस्त भी करेगी।
सीएम ने अधिकारियों से कहा कि काशी विश्वनाथ धाम बनने से पहले श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के कार्यों व जिम्मेदारियों का निर्धारण होना चाहिए। ताकि भविष्य में दोनों संस्थाओं के कार्यों के क्रियान्वयन में दिक्कत नहीं आये।
मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि कम्पनी परिषद के लिए जवाबदेह होगी। सुरक्षा सम्बंधित सभी व्यवस्थाएं पुलिस के पास ही रहेंगी।
केवल संसाधन के बंदोबस्त का काम कम्पनी को दिया जाएगा। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 60 प्राचीन मंदिर संरक्षित रखे हैं। इसके निर्माण के लिए 360 भवन हटाए गए हैं।
इसमें मंदिर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री सुविधा केन्द, पर्यटक सुविधा केन्द्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वैदिक केन्द्र, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन बनाया जा रहा है।
इन कॉरिडोर का निर्माण लाल पत्थर से हो रहा है। श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे।