नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार बेहद हैरान करने वाली है। इसको देखते हुए महामारी की तीसरी लहर को लेकर सरकार को अपनी पुख्ता तैयारी रखनी होगी।
संयुक्त राष्ट्र इस संकट के दौरान भारत के साथ खड़ा है और हर संभव मदद कर रहा है।
महामारी की पहली लहर के दौरान मामलों के तेजी से बढ़ने में 6-7 महीने का समय लगा था। इसलिए इसकी तैयारी के लिए भी समय मिल गया था। लेकिन दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बड़ी तेजी से बढ़े।
यूएन अधिकारी के मुताबिक पहली लहर के बाद उम्मीद की जा रही थी कि हालात बेहतर हो जाएंगे।
पहली लहर से बाहर आने के बाद दूसरी लहर की आशंका बनी हुई थी। यही वजह थी कि इसकी तैयारी को लेकर सभी पूरी तरह से चौकस थे। लेकिन इस बार इसकी रफ्तार हमारी सोच से कहीं अधिक थी, जिसने सभी को हैरान कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र ने माना कि भारत में अब हालात पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हैं और विशाल जनसंख्या के बाद भी मामलों में अब लगातार गिरावट आ रही है।
हालांकि उन्होंने कोरोना से हो रही मौतों पर चिंता जरूर जताई है। उनके मुताबिक भारत के अलग-अलग राज्यों में महामारी की लहर का प्रभाव भी अलग रहा है।
देश में आई दूसरी लहर के दौरान अधिकतर लोग इससे प्रभावित हुए और इसकी चपेट में आए।
संयुक्त राष्ट्र की रेनाटा डेजालिएन का मानना है कि भारत में दूसरी लहर का चरम बिंदु अब आकर निकल गया है।
इस विनाशकारी दूसरी लहर ने तीसरी लहर का मजबूती से सामना करने के लिए कई सबक भी सिखाए हैं। उन्होंने कहा कि ये पहले से पता था कि दूसरी लहर जरूर आएगी। लेकिन हम मान रहे थे कि ये भी पहले की ही तरह रहेगी। लेकिन इसके उलट सबकुछ हुआ जिससे सभी हैरान रहे।
इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने ये भी कहा कि पहली और दूसरी लहर के बीच हुई लापरवाही भी खतरनाक साबित हुई है। उन्होंने ये भी माना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका लगातार बनी हुई है। उनके मुताबिक अब तक इस बात का पता नहीं है कि ये कैसी होगी।
ये बेहद मुश्किल काम है। इसकी वजह उन्होंने वायरस के बारे में कम जानकारी का होना माना है।
यूएन अधिकारी ने कहा कि हम वायरस के बारे में अब भी काफी कुछ नहीं जानते हैं।इसलिए इसको ठीक से परिभाषित भी नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर तेजी से वैक्सीनेशन करने पर जोर दिया है। उन्होंने केंद्र और राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि भारत में दूसरी लहर ऐसे समय में आई जब देश आर्थिक रूप से पिछड़ने के बाद दोबारा पटरी पर आ रहा था।
उनका कहना था कि भारत जैसे देश में स्थिति को दोबारा सुधारने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में वक्त लगता है।