नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमनाथ मंदिर के सैकड़ों सालों के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि विनाशकारी और आतंकी ताकतें कुछ समय के लिए हावी हो सकती हैं, लेकिन उनका अस्तित्व स्थायी नहीं है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कही। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के सोमनाथ में 80 करोड़ रुपये से अधिक की चार परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री ने पर्यटन के क्षेत्र में प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य व्यक्ति को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है।
इसी का परिणाम है कि 2013 में देश यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में जहां 65वें स्थान पर था, वहीं 2019 में 34वें स्थान पर आ गया।
उन्होंने कहा कि पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन में अनेक संभावनाएं है। रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट के प्रति लोगों के रुझान का उल्लेख करते हुए कहा कि वैष्णो देवी से लेकर पूर्वोत्तर में विकास हो रहा है। देश में दूरियां खत्म हो रही हैं।
प्रधानमंत्री ने देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गुह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई थी।
वह सोमनाथ मंदिर को आजाद भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे।
देश भर में मंदिरों और तीर्थों का निर्माण करने वाली मालवा साम्राज्य, इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज मैं लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूं जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया।
प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।”
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम माने जाने वाले सोमनाथ मंदिर पर अतीत में हुए हमलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं।
शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है और समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।
उन्होंने कहा कि इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया।
यहां की मूर्तियों को खंडित कर इसका अस्तित्व मिटाने की कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया यह उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।
उन्होंने कहा, “जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सोच इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने और एक नया भविष्य बनाने की होनी चाहिए।
‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है।
यह भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।
इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की यह रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के वरिष्ठ नेता ओर सोमनाथ ट्रस्ट के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी उपस्थित रहे।