नई दिल्ली: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाला है।
मौजूदा समय की बात करें तो कोविड-19 के मामलों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है, देश एक बार फिर से सामान्य स्थिति में लौट रहा है।
इन सबके बीच कोरोना का डेल्टा वेरिएंट और संभावित तीसरे लहर की खबरें लोगों के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं।
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट नए म्यूटेशन के साथ अब डेल्ट प्लस में बदल चुका है, जिसे और भी घातक माना जा रहा है।
इतना ही नहीं मध्य प्रदेश में डेल्टा प्लस वेरिएंट के करीब सात मामलों का पता चला है, जिनमें से दो रोगियों की मृत्यु हो चुकी है।
इसके अलावा, महाराष्ट्र और केरल राज्य भी इस घातक वेरिएंट की चपेट में हैं।
भारत के साथ दुनिया के तमाम देशों में डेल्टा वेरिएंट और इसके अन्य रूप कहर मचा रहे हैं। कोरोना के इस घातक रूप के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच लोगों में काफी डर का माहौल देखा जा रहा है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बचाव और वैक्सीनेशन ही डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचाव के दो सबसे प्रभावी उपाय हो सकते हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट ज्यादा चिंताकारक
डेल्टा प्लस वेरिएंट की प्रकृति को देखते हुए हाल ही में सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित कर दिया है।
अधिकारियों के अनुसार, कोविड के इस नए वेरिएंट में तीन चीजें ऐसी हैं जो इसे पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक खतरनाक और चिंताजनक बनाती हैं।
- यह वेरिएंट पहले की तुलना में अधिक संक्रामक है।
- फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स के साथ यह मजबूती से अटैच हो सकता है।
- मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को कम कर सकता है।