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कल पश्चिम बंगाल में हुआ ट्रेन हादसा इस साल का सबसे बड़ा एक्सीडेंट, सेफ्टी पर उठा सवाल

इस बीच मोदी सरकार ने तथ्यों के साथ दिया तर्क, 10 सालों में घटे ट्रेन हादसे

Train Accident in West Bengal Yesterday : जब बड़े ट्रेन हादसे होते हैं तो उसे सियासी नजरिए से भी देखा जाने लगता है। Safety System की सच्चाई पर ध्यान कम दिया जाता है।

पश्चिम बंगाल में सोमवार सुबह बड़ा रेल हादसा हुआ। यहां एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस (Kanchenjunga Express) को टक्कर मार दी। हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। 60 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। ये इस साल का अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है।

इससे पहले पिछली साल जून में ही ओडिशा के बालासोर में बड़ा हादसा हुआ था। तब Coromandel Express पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। हादसे में लगभग तीन सौ लोगों की मौत हो गई थी।

मोदी सरकार का दावा है कि 2004 से 2014 के बीच हर साल औसतन 171 रेल हादसे होते थे। जबकि 2014 से 2023 के बीच सालाना औसतन 71 रेल हादसे हुए।

आंकड़े बताते हैं कि भारत में ट्रेन हादसों में बीते कई दशकों में कमी आई है। रेलवे के मुताबिक, 1960-61 से 1970-71 के बीच 10 साल में 14,769 ट्रेन हादसे हुए थे। 2004-05 से 2014-15 के बीच 1,844 दुर्घटनाएं हुईं। वहीं, 2015-16 से 2021-22 के बीच छह सालों में 449 ट्रेन हादसे हुए।

इस हिसाब से 1960 से लेकर 2022 तक 62 सालों में 38,672 रेल हादसे हुए हैं। यानी, हर साल औसत 600 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं।
रेलवे के मुताबिक, सबसे ज्यादा हादसे डिरेलमेंट यानी ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण होते हैं। 2015-16 से 2021-22 के बीच 449 ट्रेन हादसे हुए थे, जिसमें 322 की वजह डिरेलमेंट थी।

रेलवे की 2021-22 की सालना रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 से 2021-22 के बीच पांच साल में 53 लोगों की मौत हुई है। जबकि, 390 लोग घायल हुए हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 और 2020-21 में ट्रेन हादसों में एक भी मौत नहीं हुई। सालना रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में कुल 34 ट्रेन हादसे हुए थे। इसमें से 20 हादसों की वजह रेलवे स्टाफ ही था। पांच साल में रेलवे ने लगभग 14 करोड़ का मुआवजा दिया है। 2021-22 में रेलवे ने 85 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा दिया था।

रेलवे भारत की Lifeline है। हर दिन ढाई करोड़ से ज्यादा यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। इतना ही नहीं, 28 लाख टन से ज्यादा की माल ढुलाई भी होती है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का ही है।

इसके बाद सवाल उठता है कि इसतरह के हादसों को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है? सरकार ने दो ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए कवच सिस्टम शुरू किया है। रेल कवच एक Automatic Train Protection System है। इंजन और पटरियों में लगी डिवाइस से ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है। इससे खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लगाता है।

दावा है कि अगर दो इंजनों में कवच सिस्टम लगा है, तब उनकी टक्कर नहीं होगी। अगर एक ही पटरी पर आमने-सामने से दो ट्रेनें आ रही हैं, तब कवच सक्रिय हो जाता है। कवच ब्रेकिंग सिस्टम को भी सक्रिय कर देता है। इससे ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं और एक निश्चित दूरी पर दोनों ट्रेनें रुक जाती हैं। अब तक 139 लोको इंजनों में ही कवच सिस्टम लगा है।

इस तरह से Electronic interlocking system भी है। ये सिस्टम सिग्नल, ट्रैक और प्वॉइंट के साथ मिलकर काम करता है। इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करता है. अगर लाइन क्लियर नहीं होती है, तब इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेन को आने जाने के लिए सिग्नल नहीं देता है।

दावा है कि ये सिस्टम एरर प्रूफ और फेल सेफ है। फेल सेफ इसलिए, क्योंकि अगर सिस्टम फेल होता है, तब भी सिग्नल रेड होगा और ट्रेनें रुक जाएगी। 31 मई 2023 तक 6,427 स्टेशनों में Electronic interlocking system लगाया जा चुका है। मुख्य सवाल यह है की ट्रेन हादसों को रोका कैसे जा सकता है।

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