नई दिल्ली: रेल मंत्रालय ने कहा कि उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर सोनीपत-जींद खंड में डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) पर रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित टेक्नोलॉजी के लिए टेंडर जारी हुआ है।
इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या मौजूदा डीजल से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है।
बयान में कहा गया है, “डीजल से चलने वाले डीईएमयू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन सेट में परिवर्तित करने से न केवल सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी, बल्कि प्रति वर्ष 11.12 टन किलो कार्बन फुटप्रिंट (एनओ2) और 0.72 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर की भी बचत होगी।
यह भी कहा गया है कि इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद डीजल ईंधन पर चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन पर चलाने की योजना बनाई जा सकती है।
प्रारंभ में, दो डीईएमयू रेक को परिवर्तित किया जाएगा, और बाद में दो हाइब्रिड नैरो गेज इंजनों को हाइड्रोजन ईंधन सेल पावर मूवमेंट के आधार पर परिवर्तित किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि इस परिवर्तन के बाद ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन पर चलेगी, जो परिवहन के लिए सबसे हरित साधन है।
हाइड्रोजन सौर ऊर्जा से पानी को इलेक्ट्रोलाइज करके उत्पन्न किया जा सकता है।
वर्तमान में, बहुत कम देश इस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं। एक रेक का परीक्षण जर्मनी में और दूसरे का पोलैंड में किया जा रहा है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित डीईएमयू रेक के लिए बोली की तारीख 21 सितंबर, 2021 से शुरू होगी और 5 अक्टूबर, 2021 तक चलेगी। 17 अगस्त को प्री-बिड कॉन्फ्रेंस होगी।