काजीरंगा (असम): साल की दूसरी बाढ़ की चपेट में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान आ गया है।
शनिवार तक ब्रह्मपुत्र के बढ़ते जलस्तर से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के 60 से अधिक वन शिविर जलमग्न हो गए हैं।
उद्यान के कोंहरा वन क्षेत्र के 16 वन शिविर, बागरी वन क्षेत्र के 20 वन शिविर, बूढ़ापहाड़ वन क्षेत्र 09 वन शिविर और अगरातली वन क्षेत्र के 16 वन शिविर जलमग्न हो गए हैं।
बाढ़ की चपेट में आने से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन्य जीवों का जीवन संकटों में घिर गया है। एक अनुमान के अनुसार उद्यान का 30 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न हो गया है।
उद्यान के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति और भी खराब होगी क्योंकि ब्रह्मपुत्र का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। दूसरी ओर कुछ वन्य जीव राष्ट्रीय राजमार्ग को पार कर कार्बी पहाड़ के ऊंचाई वाले इलाकों में पलायन करना शुरू कर दिया है।
इस परिस्थिति के चलते वन सुरक्षाकर्मियों की परेशानी और बढ़ गयी है। ऐसे मौके की तलाश में अवैध शिकारी रहते हैं।
वन्य जीवों को अवैध शिकारियों से बचाने के लिए वन सुरक्षा कर्मियों को पहले के मुकाबले और अधिक सतर्क रहना होगा।
बाढ़ से निजात पाने के लिए हाथी समेत अन्य वन्य जीव कार्बी पहाड़ियों की ओर लगातार पलायन करते देखे जा रहे हैं।
इस दौरान शनिवार को बूढ़ापहाड़ के हाथी शिविर इलाके से राष्ट्रीय राजमार्ग को पार कर कार्बी पहाड़ की ओर हाथियों के एक बड़े झुंड को जाते हुए देखा गया।
दूसरी ओर काजीरंगा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर टाइम कार्ड जारी नहीं किये जाने के कारण शनिवार को काजीरंगा के ईस्ट हलधीबाड़ी में राष्ट्रीय राजमार्ग- 37 पर वाहन की चपेट में आने से एक वन्य जीवन की मौत हो गई।
इसको देखते हुए वन विभाग ने रविवार की सुबह से ही काजीरंगा से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों के लिए टाइम कार्ड जारी किया है।
टाइम कार्ड से पता चलता है कि राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरने वाले वाहनों ने कितने समय में इलाके को पार किया है। अगर कोई वाहन तय समय से पहले पहुंचता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है।
वाहनों को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बोकाखात वनांचल के बरजुरी से बूढ़ापहाड़ वनाचल के आमगुरी तक 49 किमी की दूरी 73 मिनट में तय करनी होगी।
अगर वे इस गाइड लाइन का उल्लंघन करते हैं तो वाहन मालिकों को जुर्माना देना पड़ेगा।