Women took to the streets of West Bengal at midnight: कोलकाता के सरकारी आरजीकर अस्पताल में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर से बलात्कार (Rape) और हत्या (Murder) की घटना से आक्रोशित बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्वतंत्रता दिवस Independence Day( से पूर्व आधी रात को बंगाल की सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया।
पूरे राज्य में 300 से अधिक जगहों पर सड़कों पर उतरीं महिला प्रदर्शनकारियों ने न्याय की मांग करते हुए नारेबाजी की।
छात्राओं, कामकाजी महिलाओं और गृहिणियों ने मिलकर इस हिंसा के खिलाफ एकजुटता दिखाई। राजनीतिक दलों के झंडे प्रतिबंधित थे लेकिन हाशिए पर रहने वाले समुदायों, जैसे एलजीबीटीक्यू समूहों के लोग भी इसमें शामिल हुए। आंदोलन की पहल करने वाली रिमझिम सिन्हा ने कार्यक्रम को महिलाओं के लिए स्वतंत्रता की नई लड़ाई के रूप में चिह्नित किया।
पिछले कुछ दिनों में यह आंदोलन बंगाल के विभिन्न शहरों और जिलों में फैल गया है। जिसमें कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट, एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स और जादवपुर 8बी बस स्टैंड सहित विभिन्न स्थानों पर प्रारंभिक जुटान की योजना बनाई गई थी।
कोलकाता में विश्व बांग्ला गेट के पास लगभग आठ हजार प्रदर्शनकारी मोमबत्तियों के साथ इकट्ठे हुए। जादवपुर 8बी बस स्टैंड से लेकर कॉलेज स्क्वायर तक, नाकतला नबापल्ली से न्यू टाउन विश्व बांग्ला गेट तक, बेहाला सखेर बाजार से श्यामबाजार फाइव प्वाइंट क्रॉसिंग तक, एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स से नागरबाजार तक, और भी कई जगहों पर लोगों की भीड़ जमा हुई।
श्रीरामपुर, चंचुरा, शांति निकेतन, कृष्णनगर, बर्दवान, सिलीगुड़ी, बारासात, बैरकपुर, राजारहाट-न्यूटाउन, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी में भी इसी तरह के दृश्य सामने आए। सियालदह स्टेशन पर प्रदर्शन में अप्रत्याशित लेकिन दिलचस्प जुड़ाव देखा गया– फुटपाथ पर रहने वाले लोग भी शामिल हुए, जिनमें कुछ महिलाएं शंख फूंक कर विरोध प्रदर्शित कर रही थीं। डायमंड हार्बर में हजारों महिलाओं ने टैगोर के “Agnir Parsmani” गीत गाकर अपने मोबाइल फोन की टॉर्च जलाकर न्याय की पुकार लगाई।महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कई स्थानों पर पुरुषों ने भी विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
प्रदर्शनकारियों के बीच पाटुली की एक वृद्ध महिला, लिली बनर्जी ने अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने भावुक होकर कहा, “जब मैंने युवा डॉक्टर पर हुए भयावह हमले के बारे में सुना, तो मैं सो नहीं सकी। मेरी बेटी भी उसी उम्र की है और पुणे में काम करती है। मुझे उसकी सुरक्षा की चिंता हर दिन सताती है।”
अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता ने एक वीडियो संदेश में इस आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और ऐसी हिंसक घटनाओं की पुनरावृत्ति पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि हमें अभी भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हमें इस बात का आश्वासन चाहिए कि ऐसी हिंसा फिर से नहीं होगी।”