नई दिल्ली: दूसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी कीमत काफी कम हो सकती है।
जायडस ग्रुप के प्रबंध निदेशक डॉ शर्विल पटेल ने कहा कि वैक्सीन की कीमत तकनीक, क्षमता और वॉल्युम के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
जायकोव-डी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की ओर से 20 अगस्त को मंजूरी मिल गई है।
देश की पहली स्वदेश निर्मित कोरोना वायरस वैक्सीन भारत बायोटेक और आईसीएमआर की कोवॉक्सिन है।
पटेल ने कहा जायकोव-डी की कीमत अभी सरकार के साथ बातचीत करके तय की जानी है।
तकनीक, क्षमता और वाल्युम के आधार पर कीमत तय की जाएगी। उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि वैक्सीन की कीमत काफी सस्ती होगी।
उन्होंने कहा महामारी के दौरान जायडस ने सस्ती दरों पर लोगों पर थेरेप्यूटिक्स, डायग्नोस्टिक्स और प्रतिरोधी दवाएं उपलब्ध कराई हैं। जायकोव-डी की कीमत भी कोई अलग नहीं होगी।
जायकोव-डी दुनिया की पहली प्लाज्मिड डीएनए आधारित कोरोना वायरस वैक्सीन है।
यह एक मात्र वैक्सीन है, जिसे भारत ने 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए मंजूरी दी है।
कंपनी ने वैक्सीन की 30 से 50 लाख डोज तैयार कर रखी हैं और एक बार क्वालिटी और सेफ्टी चेक में वैक्सीन के क्लियर होने के बाद इन्हें सप्लाई किया जाना शुरू हो जाएगा।
पटेल ने कहा कि सितंबर के अंत तक वैक्सीन की पहली डोज की डिलिवरी हो सकती है।
जायडस कैडिला की कोशिश प्रति वर्ष वैक्सीन की 10 से 12 करोड़ डोज तैयार करने की है।
जायकोव-डी की वैक्सीन अभी तीन डोज की वैक्सीन है, जिसे 0, 28 और 56 दिन की अवधि पर दिया जाएगा।
पटेल ने कहा कि कंपनी की कोशिश दो डोज की वैक्सीन के लिए मंजूरी पाने की है, हालांकि इसके लिए उन्हें कोई टाइमलाइन नहीं बताई।
उन्होंने कहा कि जायकोव-डी के ट्रायल के दौरान कंपनी ने दो डोज की वैक्सीन का भी परीक्षण किया, इसमें प्रत्येक खुराक 3 मिलिग्राम का डोज दिया गया और इसके नतीजे में इम्युन सिस्टम तीन डोज वाली वैक्सीन के बराबर ही देखा गया।
कंपनी के मुताबिक तीन डोज वाली वैक्सीन कोरोना के लक्षण वाले मामलों में 66.6 फीसदी प्रभावी है।
देश में स्कूल खुलने लगे हैं, ऐसे में जायकोव-डी को बच्चों के टीकाकरण के लिए संभावित विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है।
वैक्सीन की डिलिवरी के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि कंपनी ने लॉजिस्टिक्स तैयारियां पूरी कर ली हैं।