रांची: झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय (Jharkhand Central University) में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई।
संगोष्ठी का विषय ‘आत्मनिर्भर भारत: समुत्थानशक्ति निर्माण, सतत विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रखा गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (Central Coalfields Limited) मुख्यालय रांची के सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें अपने देश की जनसंख्या और परिवेश पर ध्यान देना होगा।
साथ ही सतत विकास की प्रक्रिया (Sustainable Development Process) को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जो आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मिल का पत्थर साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) के क्षेत्र में नेट जीरो का विचार बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें उत्पादन और खपत का संतुलन भी होना चाहिए।
दोनों मॉडलों के बीच संतुलन बनाकर कार्य किया जा सकता है
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर वी.के. श्रोत्रिय ने भारत और चीन के आर्थिक मॉडल की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में सर्विस मॉडल और चीन में प्रोडक्शन मॉडल (Production Model) है।
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए इन दोनों मॉडलों के बीच संतुलन बनाकर कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी के क्षेत्र में पूरा विश्व एक समान और और समेकित होते जा रहा है। वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा (Global Competition) के निर्माण में अवसर और तकनीकी दोनों समान रूप से वितरित होने चाहिए।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के.बी. दास ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अवसर और उत्पादन दोनों क्षेत्रों में अन्य देशों पर निर्भरता कम करके ही किया जा सकता है।
उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए वसुधैव कुटुम्बकम (Vasudev kutumbakam) की भावना को विकसित करने पर बल दिया। इस मौके पर प्रो अजय द्विवेदी, प्रो पवनेश, प्रो मनोज कुमार, प्रो अजय सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे।