नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Campus) के अंदर मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना की मांग को लेकर दायर याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करेगा।
वकील विष्णु जैन ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष याचिका को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका के साथ सुनवाई करने का आदेश दिया।
याचिका में मांग की गई है कि काशी विश्वनाथ ट्रस्ट शिवलिंग (Kashi Vishwanath Trust Shivling) को अपने कब्जे में ले और शिवलिंग की पूजा की लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था हो।
याचिका में कहा गया है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करवाये।
सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर एक याचिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति स्थल के अध्यक्ष राजेश मणि त्रिपाठी ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपने धार्मिक रीति रिवाज के मुताबिक पूजा करने की अनुमति मांगी है।
वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट जज को ज्ञानवापी मामला कर दिया था ट्रांसफर
याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 25 के तहत उसे ये अधिकार है कि वो धार्मिक रीति रिवाज (Religious Observance) के मुताबिक पूजा करे। सावन का महीना शुरू हो गया है, ऐसे में उसे सर्वे में मिले शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का मामला वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट जज को ट्रांसफर कर दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा के अनुभवी न्यायिक अधिकारी को सुनवाई के लिए दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा था कि ये मत भूलिए कि हमारा साझा लक्ष्य राष्ट्र के संतुलन को संरक्षित करना है।
कोर्ट ने कहा था कि आयोग के चुनिंदा अंश लीक नहीं होने चाहिए। रिपोर्ट कोर्ट की सौंपी जानी चाहिए। इसे प्रेस को लीक मत कीजिए।
कोर्ट ने कहा था कि सीनियर डिवीजन सिविल जज के यहां दोनों पक्षों ने जो भी अर्जी दायर की है ,उस पर भी डिस्ट्रिक्ट जज विचार करेंगे।
कोर्ट (Court) ने कहा था कि शिवलिंग को सील करने और नमाज पढ़ने के लिए प्रवेश करने से नहीं रोकने का आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा।