नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (DHC) ने बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण पर आपत्ति जताई है।
जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने कहा कि इस स्पष्टीकरण में ऐसा लगता है जैसे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) अपनी पीठ थपथपा रहे हों।
Court ने बाबा रामदेव को बेहतर स्पष्टीकरण के साथ पेश होने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।
Court ने कहा कि आप ऐसा नहीं कह सकते हैं कि Coronil एक पूरक इलाज है
सुनवाई के दौरान Court ने कहा कि बाबा रामदेव के स्पष्टीकरण में दो चीजें स्पष्ट हैं। पहला कि एलोपैथिक Dr. के पास इलाज नहीं है और कोरोनिल उसका इलाज है। Court ने कहा कि आप ऐसा नहीं कह सकते हैं कि Coronil एक पूरक इलाज है।
दरअसल पिछली सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव की ओर से कहा गया था कि वे इस मामले पर एलोपैथिक डॉक्टरों (Allopathic Doctors) के वकील से मशविरा कर एक स्पष्टीकरण जारी करेंगे।
हर चिकित्सा पद्धति का एक समान लक्ष्य है
आज सुनवाई के दौरान जब बाबा रामदेव की ओर से स्पष्टीकरण पढ़ा गया तो उसमें लिखा था कि कोरोनिल एक पूरक दवाई है और वे डॉक्टरों का सम्मान करते हैं।
बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील पीवी कपूर (PV Kapoor) ने कहा कि रामदेव का ये दृढ़ विश्वास है कि हर चिकित्सा पद्धति का एक समान लक्ष्य है और उसके अपने फायदे हैं। कोई भी चिकित्सा पद्धति दूसरे से निम्न नहीं है।
इस पर एलोपैथिक डॉक्टरों (Allopathic Doctors) की ओर से पेश वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि स्पष्टीकरण में ये साफ कहा जाना चाहिए कि कोरोनिल दवाई नहीं है।
आप इसे इम्युनिटी बूस्टर (Immunity Booster) कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक डॉक्टरों पर बाबा रामदेव का बयान वापस नहीं लिया गया है और अब भी कोरोनिल का विज्ञापन कोरोना की दवाई के रूप में ही किया जा रहा है।
दरअसल हाईकोर्ट (HC) बाबा रामदेव की ओर से कोरोनिल दवाई को लेकर कथित झूठे दावे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने सार्वजनिक रूप से डॉक्टरों के अलावा विज्ञान को चुनौती दी है। उनके बयान से लोगों का नुकसान हो रहा है।
वे मेडिकल साइंस को चुनौती दे रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि कि बाबा रामदेव काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनकी काफी लोगों तक पहुंच है। उनके बयान अपने प्रशंसकों को प्रभावित करते हैं।