मुंबई: शिवसेना प्रमुख Uddhav Thackeray ने मंगलवार को पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के ‘सड़े हुए पत्तों’ से की। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद पता चल जाएगा कि लोग किसका समर्थन (Support) करते हैं।
मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा (Resignation) देने के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साथ पहले साक्षात्कार में उद्धव ने कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं पर अत्यधिक भरोसा (Trust) करना उनकी गलती थी।
महाराष्ट्र में उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के कारण गिर गई थी। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस MVA के घटक दल हैं। शिंदे ने बाद में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
उद्धव ने कहा, ‘‘ये विद्रोही पेड़ के सड़े हुए पत्तों की तरह हैं और इन्हें गिर ही जाना चाहिए। यह पेड़ के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसी के बाद नए पत्ते उगते हैं।’’
बागी नेताओं का दावा है कि वे असली शिवसेना (Shiv Sena) का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस बारे में उद्धव ने कहा कि चुनाव होने दीजिए और फिर देखते हैं कि लोग किसे चुनते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लोग या तो हमारे पक्ष में मतदान करेंगे या फिर उन्हें वोट देंगे। यह हमेशा के लिए स्पष्ट हो जाएगा।’’
यह पूछे जाने पर कि बगावत (Rebellion) के लिए किसे दोष दिया जा सकता है, उद्धव ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मैंने Shiv Sena के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं पर बहुत अधिक विश्वास कर लिया। इतने लंबे समय तक उन पर भरोसा करना मेरी गलती है।’’
महा विकास आघाड़ी गठबंधन राजनीति में एक अच्छी पहल : पूर्व मुख्यमंत्री
उन्होंने कहा, ‘‘BJP ने जिस प्रकार सरदार पटेल की विरासत को Congress से पृथक करने की कोशिश की, उसी तरह वह Shiv Sena की स्थापना करने वाले मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे और पार्टी का नाता तोड़ने का प्रयास कर रही है।’’
उद्धव ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि ये लोग भरोसेमंद नहीं हैं। ये Shiv Sena कार्यकर्ताओं के बीच मूल रूप से अंदरूनी कलह पैदा कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी गठबंधन (MVA Alliance) राजनीति में एक अच्छी पहल थी।
उद्धव ने कहा, ‘‘अगर यह गठबंधन (Alliance) लोगों को गलत लगता तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाते। महा विकास आघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) सरकार में हमारे मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान था।’’