नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने जांच एजेंसियों द्वारा व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) उपकरणों को जब्त करने पर दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार के हलफनामे पर आपत्ति जताई है।
जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र के हलफनामे से हम संतुष्ट नहीं हैं।
आप एक नया और बेहतर हलफनामा दाखिल कीजिए। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
यह याचिका पांच एकेडमिशियंस JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर राम रामास्वामी, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुजाता पटेल, इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी हैदराबाद के प्रोफेसर M माधव प्रसाद, Delhi के लेखक मुकुल केशवन और इकोलॉजिकल अर्थशास्त्री दीपक मालघन ने दायर की है।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकार (State Government) के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसियों को जांच के दौरान व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, क्योंकि उन उपकरणों में लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील एस प्रसन्ना ने कहा कि व्यक्तिगत उपकरणों को जब्त करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
व्यक्तिगत उपकरणों की जब्ती लोगों के व्यक्तिगत संदेशों के जुड़े होते हैं, इसलिए जब्त किए गए उपकरणों की प्रति आरोपितों को भी मिलनी चाहिए।
न्यायिक अधिकारी की पूर्व अनुमति जरूरी होनी चाहिए
याचिका में कहा गया है कि किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (Electronic Equipment) को जब्त करने से पहले न्यायिक अधिकारी की पूर्व अनुमति जरूरी होनी चाहिए।
अगर जब्त करना तुरंत जरूरी है तो ये बताना होगा कि न्यायिक अधिकारी की पहले क्यों नहीं ली गई। इसके अलावा जब्त उपकरण का केस से संबंध को स्पष्ट रुप से बताना चाहिए।
जब्त उपकरण के मालिक को इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है कि वो उसका Password बताए। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने के बाद उसकी Hard Disk की पड़ताल उसके मालिक या निष्पक्ष Computer Professional के समक्ष की जानी चाहिए।