गिरिडीह: धनबाद से लेकर गिरिडीह तक आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात और एक लाख रुपये के इनामी नक्सली कार्तिक महतो ने सरेंडर कर दिया।
नक्सली कार्तिक ने पुलिस अधिकारी के समक्ष सरेंडर किया। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। वह मूल रूप से खुखरा थाना क्षेत्र अंतर्गत जिलिगटांड़ बदगांव का रहने वाला है।
सूत्रों ने बताया कि नक्सली संगठन से जुड़ने के बाद कार्तिक महतो कुछ वर्षों तक सक्रिय होकर काम कर रहा था, लेकिन कुछ साल पहले वह काम करने चेन्नई चला गया था।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण जब लॉकडाउन लगा, तो इसके बाद वह वापस झारखंड लौट आया था और संगठन से फिर जुड़ गया था।
नक्सली कार्तिक महतो के घर लौटने की जानकारी जब कार्तिक के गांव के लोगों को मिली, तो कुछ लोगों ने उसे बताया कि उसकी तलाश में कई बार पुलिस आयी थी और उसे गिरफ्तार करने में जुटी हुई है।
कार्तिक को लगा कि अगर वह सरेंडर नहीं करेगा, तो उसका इनकाउंटर हो सकता है। इसके बाद उसने सरेंडर कर दिया।
कार्तिक महतो के आत्मसमर्पण को पुलिस की बड़ी कामयाबी मानी जारही है। बताया जाता है कि कार्तिक महतो वर्ष 2018-19 तक गिरिडीह जिले के पारसनाथ की तराई वाले इलाके में सक्रिय रहा था।
इस दौरान कुख्यात नक्सली नुनुचंद महतो एंव कई अन्य बड़े नक्सलियों के दस्ते में रहकर उसने कई बडी घटनाओं को अंजाम दिया था।
लगभग पौने दो दशक तक नक्सली संगठन में रहे कार्तिक का इन दिनों भाकपा माओवादी संगठन से मोह भंग हो गया था ।
वह पिछले कई माह से दूसरे प्रदेश में प्रवासी मजदूरी भी कर रहा था। बताया जा रहा है कि वापस लौटने पर उसने पीरटांड थाने में सरेंडर कर दिया।
पुलिस के अनुसार कार्तिक महतो जमीन विवाद के कारण नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। उसका अपनो से ही विवाद चल रहा था, जिससे तंग आकर वह नक्सली संगठन में शामिल हुआ।
संगठन में आने के बाद बाद मारक दस्ते में शामिल होकर कई बड़े वारदातों को अंंजाम देने लगा। कार्तिक पर कई मामले दर्ज हैं, जिसमे पांच मामलों की पुष्टि हो सकी है।
पुलिस के मुताबिक उससे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ और जांच पूरी होने के बाद ही अधिक कुछ कहा जा सकता हैा