नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को 30वें राष्ट्रीय महिला आयोग के स्थापना दिवस कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।
उन्होंने कहा जब भी कोई सरकार महिला सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देती, महिलाओं ने सत्ता से उनका प्रस्थान सुनिश्चित किया है। सोमवार को आयोजित इस कार्यक्रम की थीम शी द चेंज मेकर का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाना है।
राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य सरकारों में महिला एवं बाल विकास विभाग, विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षण संकाय और छात्र, स्वैच्छिक संगठन, महिला उद्यमी और व्यावसायिक संघ उपस्थित थे।
इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी, राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई और श्रीमती दर्शन जरदोश और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी उपस्थित रहे।
सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय महिला आयोग के 30वें स्थापना दिवस पर बधाई दी। 30 साल का मील का पत्थर, चाहे किसी व्यक्ति या संगठन के जीवन में, बहुत महत्वपूर्ण है।
यह समय नई जिम्मेदारियों और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बदलते भारत में महिलाओं की भूमिका का लगातार विस्तार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इसलिए राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका का विस्तार भी समय की मांग है। देश के सभी महिला आयोगों को भी अपना दायरा बढ़ाना होगा और अपने राज्यों की महिलाओं को एक नई दिशा देनी होगी।
प्रधान मंत्री ने कहा कि सदियों से, भारत की ताकत छोटे स्थानीय उद्योग और एमएसएमई रहे हैं। इन उद्योगों में महिलाओं की भूमिका पुरुषों के समान ही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरानी सोच ने महिलाओं और उनके कौशल को घरेलू कामों तक सीमित कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए इस पुरानी सोच को बदलना जरूरी है।
मेक इन इंडिया आज यही कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान महिलाओं की क्षमता को देश के विकास से जोड़ रहा है। देश में पिछले 6-7 वर्षों में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या में तीन गुना वृद्धि देखी गई है।
इसी तरह 2016 के बाद उभरे 60 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स में 45 फीसदी में कम से कम एक महिला डायरेक्टर हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत के विकास चक्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। महिला आयोगों को समाज की उद्यमिता में महिलाओं की इस भूमिका को बढ़ावा देने और अधिकतम मान्यता देने के लिए काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2015 से अब तक 185 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस साल भी विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार पाने वालों में 34 महिलाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक रिकॉर्ड है क्योंकि महिलाओं को दिए जाने वाले इतने पुरस्कार अभूतपूर्व हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में देश की नीतियां महिलाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हुई हैं। आज भारत उन देशों में शामिल है जहां अधिकतम मातृत्व अवकाश का प्रावधान है।
कम उम्र में शादी से भी बेटियों की शिक्षा और करियर में बाधा आती है, इसलिए बेटियों की शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने सशक्तिकरण से ग्रामीण महिलाओं की ऐतिहासिक दूरी की भी बात की। उन्होंने 9 करोड़ गैस कनेक्शन और शौचालय जैसे कदमों को सूचीबद्ध किया।
घर की महिलाओं के नाम पर पीएम आवास योजना के पक्के मकान, गर्भावस्था के दौरान समर्थन, जन धन खाते, जो इन महिलाओं को बदलते भारत और महिला सशक्तिकरण का चेहरा बनाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाएं जब संकल्प लेती हैं तो उसी की दिशा तय करती हैं। इसीलिए जब भी कोई सरकार महिला सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देती है, महिलाओं ने सत्ता से उनका प्रस्थान सुनिश्चित किया है।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम कर रही है। बलात्कार के जघन्य मामलों के लिए मौत की सजा सहित इस संबंध में सख्त कानून हैं।
फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं और पुलिस थानों में अधिक महिला हेल्प डेस्क, 24 घंटे हेल्पलाइन, साइबर अपराधों से निपटने के लिए पोर्टल जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।