नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को हिदायत दी है कि वो विशेषज्ञों का एक समूह बनाये,
जो जनता और विशेषज्ञों से मिले सुझाव पर गौर करें ताकि प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान हो सके। मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2022 में होगी।
सुनवाई के दौरान आयोग ने कोर्ट को बताया कि स्कूल फिर से खोलने और निर्माण गतिविधियों पर लगे बैन को हटाने पर कल तक फैसला लिया जाएगा।
आयोग ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियों को अनुमति दी गई है। दीर्घकालिक हल के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को आयोग से उद्योगों, स्कूल और निर्माण शुरू करने की इजाजत मांगने वाली अर्जियो पर संबंधित राज्यों से परामर्श कर एक हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया ऊ कि वो आवेदनों पर एक हफ्ते में फैसला करें।
कोर्ट ने 3 दिसंबर को केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली-एनसीआर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सिफारिशों को अमल करें।
कोर्ट ने दिल्ली में अस्पतालों के निर्माण की अनुमति दे दी थी। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि उसने अपने निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए पांच सदस्यीय प्रवर्तन टास्क फोर्स का गठन किया है।
इसके लिए 17 उड़न दस्ते भी बनाए गए हैं। टास्क फोर्स को निरोधी विधायी शक्तियों के साथ-साथ सजा देने की भी शक्ति दी गई है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि टास्क फोर्स में दो स्वतंत्र सदस्य हैं। इसकी बैठक हर शाम 6 बजे होगी। फ्लाइंग स्क्वाड हर शाम टास्क फोर्स को रिपोर्ट देंगे।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा था कि क्या टास्क फोर्स सिर्फ दिल्ली में काम करेगा। तब मेहता ने कहा कि जी नहीं, पूरे एनसीआर क्षेत्र में टास्क फोर्स और फ्लाइंग स्क्वाड का दायरा होगा। तब कोर्ट ने कहा कि यह काफी अहम है।