नई दिल्ली : तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के सुरक्षा अधिकारी ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर का पार्थिव शरीर शुक्रवार को बरार स्क्वायर श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गया।
श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी होने के बाद ब्रिगेडियर के पार्थिव शरीर पर लिपटा तिरंगा सैन्य परम्परा के अनुसार उनकी पत्नी को सौंपा गया और इसके बाद मुखाग्नि दी गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने बरार स्क्वायर श्मशान घाट में ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर को श्रद्धांजलि दी।
इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी ब्रिगेडियर लिड्डर को श्रद्धांजलि देने बरार स्क्वायर श्मशान घाट पहुंचे। ब्रिगेडियर लिड्डर की पत्नी और बेटी ने भी उन्हें बरार स्क्वायर में श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की बेटी आश्ना लिड्डर ने कहा कि मैं 17 साल की होने वाली हूं। मेरे पिता मेरे साथ 17 साल रहे। अब मैं उनकी अच्छी यादों के साथ आगे बढ़ूंगी।
उनका जाना राष्ट्र के लिए नुकसान है। मेरे पिता हीरो थे। वे मेरे अच्छे दोस्त थे। वह इतने खुशमिजाज इंसान थे कि उनकी यादें अब हमारे साथ रहेंगी।
शायद उनका जाना हमारी किस्मत हो सकती है, या बेहतर चीजें आगे आएंगी। मेरे पापा सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि सभी में पढ़ाई के प्रति जोश भरते थे, वे मेरे सबसे बड़े प्रेरक थे। मुझे याद है कि वे बचपन से मेरी हर बात मानते थे।
ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की पत्नी गीतिका ने कहा कि वे मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे, बहुत प्यार बांटते थे। हमें उन्हें अच्छी विदाई देनी चाहिए, मुस्कुराते हुए विदा करना चाहिए, मैं एक सैनिक की पत्नी हूं।
यह एक बड़ी क्षति है। जब उनसे पूछा गया कि ब्रिगेडियर के पार्थिव शरीर पर लपेटा गया तिरंगा लेकर कैसा गर्व महसूस कर रही हैं तो उन्होंने कहा कि गर्व से ज्यादा दुःख है, क्योंकि जिन्दगी अब अकेले ही काटनी है।
अगर भगवान को यही मंजूर था तो अब हम इसी के साथ जिएंगे।