Wakf Amendment Act: केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन एक्ट 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने कानून का बचाव करते हुए कहा कि पिछले 100 वर्षों से वक्फ बाई यूजर को केवल पंजीकरण के आधार पर मान्यता दी जाती है, न कि मौखिक दावों के आधार पर।
हलफनामे में स्पष्ट किया गया कि वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक वैधानिक निकाय है, और मुतवल्ली का कार्य धर्मनिरपेक्ष है, न कि धार्मिक। यह कानून संसद में चुने गए जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को दर्शाता है, जिन्होंने इसे भारी बहुमत से पारित किया।
केंद्र ने हलफनामे में कहा कि संसद द्वारा पारित यह कानून संवैधानिक रूप से वैध है, खासकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों और संसद में व्यापक चर्चा के बाद।
JPC ने 36 बैठकों में विचार-विमर्श किया और 97 लाख से अधिक हितधारकों के सुझाव व ज्ञापन प्राप्त किए। समिति ने देश के 10 प्रमुख शहरों का दौरा कर जनता से सीधे उनके विचार जाने।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह वक्फ संशोधन एक्ट के किसी भी प्रावधान पर अंतरिम रोक न लगाए।
सरकार ने जोर देकर कहा कि यह कानून किसी व्यक्ति के वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि केवल वक्फ के प्रबंधन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए संशोधन किए गए हैं।