नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश पर लगी अंतरिम रोक को हटाने से इनकार किया है जिसमें कहा गया था कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए गए वादे को पूरा करना होगा।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले के याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया।
27 सितंबर को डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी।
22 जुलाई को जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से प्रेस कांफ्रेंस में किए गए वादे को पूरा करना होगा।
पिछले साल 29 मार्च को कोरोना के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि जो मजदूर अपने मकान का किराया नहीं भर पा रहे हैं, उनका किराया सरकार भरेगी।
सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो मुख्यमंत्री की ओर से किए गए वादे को पूरा करने पर फैसला करे।
अगर दिल्ली सरकार इस संबंध में नीतिगत घोषणा करती है तो याचिकाकर्ताओं को भी उसका लाभ दिया जाए। सिंगल बेंच ने कहा था कि सुशासन का मतलब है कि जो वादे नागरिकों से किए गए उन्हें पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री से उम्मीद की जाती है कि उन्होंने जो वादा किया है वो पूरा करेंगे। आम नागरिक यही समझता है कि मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की ओर से घोषणाएं की हैं, इसलिए वो पूरा करेगा।
सिंगल बेंच के समक्ष याचिका नजमा समेत पांच दैनिक मजदूरों और एक मकान मालिक ने दायर की थी। याचिका में मुख्यमंत्री के वादे के मुताबिक किराये का भुगतान करने की मांग की गई थी।
29 मार्च 2020 को केजरीवाल ने सभी मकान मालिकों से आग्रह किया था कि वे उन मजदूरों से किराया वसूलने का दबाव नहीं बनाएं जो किराया दे पाने में असमर्थ हैं।
केजरीवाल ने कहा था कि अगर मजदूर किराये का भुगतान नहीं कर पाते हैं तो दिल्ली सरकार किराये का भुगतान करेगी। मुख्यमंत्री के प्रेस कॉन्फ्रेंस की पूरी ट्रांसक्रिप्ट याचिका में संलग्न की गई थी।